बरेली: शहर के पार्क हुए बदहाल, नगर निगम बनी अंजान
बरेली, अमृत विचार। रोज की भाग दौड़ की जिंदगी में जहां कुछ पल लोग शांती से बिताने के लिए सोचते है की अगर पार्क में बेठ जाए और थोड़ा सुकून से एक अच्छें वातावरण का मजा लें लिया जाए तो ऐसे में अगर आप बरेली में है तो ऐसे में पार्कों में बेठकर वातावरण का मजा तो आप भुल ही जाइए। वजह पार्कों पर अतिक्रमण और जगह-जगह फैली गंदगी है। नगर के 80 प्रतिशत पार्कों पर लोगों का कब्जा है।
शहर में नगर निगम के ओर से लोगों के लिए सुबह-शाम टहलने और बैठने के लिए कई पार्कों का निर्माण कराया गया है। जिनमें से 80 प्रतिशत पार्कों की हालत बदहाल हो गई है। अधिकतर पार्कों पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा करा हुआ हैं। आस- पास के लोगों ने पार्कों को कूड़ा घर बना दिया है। इस कारण पार्क उन उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, जिनके लिए इनका निर्माण कराया गया था। वहीं कहीं न कहीं नगर निगम और अधिकारी भी पार्कों की बदहाली के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि पार्कों में गंदगी फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति पर आज तक कार्रवाई नहीं की गई।
गोविंद बल्लभ पंत पार्क
मंडल आयुक्त के सामने स्थित इस पार्क के हाल बेहाल हैं। इसमें कहीं भी बैठने की जगह नहीं है। जगह-जगह ईंटें और गंदगी पड़ी हुई है। पार्क के हालात बताते हैं कि यहां वर्षों से सफाई नहीं हुई है। पार्क में पड़ोस के लोगों ने घर की बेकार चीजों को एकत्रित कर रखा है। साथ ही पार्क में बहते पानी को देखते हुए ये साफ नजर आ रहा है की ये जल बचाओं अभियान का मजाक बना रहा हैं।
सेठ दामोदर पार्क
कहने के लिए बच्चों के लिए बेहद अच्छा पार्क बना हुआ है, लेकिन अब यह पार्क रहन बसेरा का काम कर रहा है। लोग इसी पार्क में अपने कपड़े सुखाते हैं और घरों से निकलने वाला कूड़ा भी इसी पार्क में डाला जाता है। इससे यह पार्क लोगों के बैठने या टहलने के स्थान पर अय्याशी अड्डा और कूड़ा घर बन गया है।
गांधी पार्क
चौकी चौराहा स्थित पार्क केवल गंदगी से भरा हुआ है। इस पार्क में जगह- जगह कूड़े के ढेर से लोगों का आना मतलब बिमारी को न्योता देना ही होगा। पार्क में महत्मा गांधी की प्रतिमा भी धुल खा रही है पेड़ सुखते नजर आ रहे है। ऐसा लगता है जैसे नगर निगम ने इस पार्क को बनाने के बाद इसके ओर देखना भी भुल गया हैं।
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