गोंडा: छात्रा को बेहोश देख पहुंच गए बीएसए, अपने वाहन से पहुंचाया घर
स्कूल से घर लौट रही छात्रा चक्कर आने से हुई थी बेहोश
अमृत विचार, गोंडा। बेसिक शिक्षा विभाग के मुखिया जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का मानवीय चेहरा सामने आया है। शुक्रवार को स्कूल का निरीक्षण लौट रहे बीएसए ने रास्ते में भीड़ लगी देखी तो रुक गए। पास जाकर देखा तो परिषदीय स्कूलों की एक छात्र बेहोश पड़ी थी। बीएसए ने तत्काल छात्रा को अपने वाहन में बैठाया और प्राथमिक उपचार करने के बाद उसे उसके पहुंचाया। बीएसए ने छात्रा को एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी और परिजनों को छात्रा के खानपान का ध्यान रखने का निर्देश दिया। बीएसए की दरियादिली देख लोगों ने उनकी खूब सराहना की।
दरअसल, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुक्रवार को रुपईडीह क्षेत्र में स्कूलों का निरीक्षण करने गए थे। वहां से वह तीन बजे के आसपास वापस मुख्यालय लौट रहे थे। रास्ते में भवनियापुर चौराहे के समीप उन्होंने भीड़ लगी देखी तो रुक गए। मौके पर पहुंचे तो परिषदीय स्कूल की एक छात्रा बेहोश पड़ी थी। जानकारी करने पर पता चला कि छात्रा कंपोजिट स्कूल मल्लापुर की छात्रा है। स्कूल से घर जाते समय उसे चक्कर आ गया और वह बेहोश हो गयी। बीएसए ने तत्काल छात्रा को उठाया और उसका प्राथमिक उपचार कराया। होश में आने पर वह छात्रा को अपने वाहन से लेकर उसके घर पहुंचे।
छात्रा के साथ बीएसए को आया देख परिजन भौंचक रह गए। बाद में जब घटनाक्रम की जानकारी हुई तो उन्होंने बीएसए का आभार जताया। चलते समय बीएसए प्रेमचंद यादव ने छात्रा को एक हजार रुपये भी दिए और परिजनों से उसके खानपान पर ध्यान देने के लिए कहा। मौके पर मौजूद लोगों ने बीएसए के इस इस दरियादिली की खूब सराहना की। स्कूल के शिक्षामित्र प्रदुम्न शुक्ला ने बताया कि स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर जाते समय कक्षा 8 की एक छात्रा बेहोश हो गयी थी। इसी दौरान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होने तत्काल छात्रा को अपने वाहन में बैठाकर उसे उसके घर पहुंचाया और एक हजार रुपये की सहायता भी दी।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने की सराहना
अपने वाहन से छात्रा को घर पहुंचाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बीएसए प्रेमचंद यादव की सराहना की है। संघ के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष उदयभान वर्मा ने कहा कि विभाग के मुखिया की जितनी तारीफ की जाए कम है। ऐसे अफसर विरले ही होते हैं जो रास्ते में रुककर दूसरों की मदद करते हैं। इस मानवीय कार्य से सभी शिक्षकों का हौसला बढ़ेगा।
बीएसए प्रेमचंद यादव का कहना है कि अभिभावकों को चाहिए कि बेटियों के खानपान का ध्यान भी बेटों की तरह रखें। क्योकि बेटियां बेटों से कम नहीं होती।
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