पीलीभीत: टूरिज्म विलेज बना सेल्हा, पीटीआर से सटे गांव में रात्रि विश्राम कर सकेंगे पर्यटक

पीलीभीत: टूरिज्म विलेज बना सेल्हा, पीटीआर से सटे गांव में रात्रि विश्राम कर सकेंगे पर्यटक

सुनील यादव, पीलीभीत: जिले में अब पीटीआर से इतर जंगल से बाहर साल भर पर्यटन चलाने के लिए कवायद चल रही है। इसका जिम्मा पीटीआर से सटे टूरिज्म विलेज सेल्हा के ग्रामीणों ने उठाया है। पीटीआर और विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से यहां के ग्रामीणों ने पर्यटकों के ठहरने के लिए 11 रूम तैयार किए हैं। इतना ही नहीं, यहां ठहरने वाले पर्यटक स्थानीय विशुद्ध पारंपरिक व्यंजनों का भी स्वाद चख सकेंगे।

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फोटो- शारदा सागर डैम से सन सेट व्यू का खूबसूरत नजारा

जनपद के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पर्यटन के नाम पर 15 जून से लेकर 15 नवंबर तक पर्यटन सत्र संचालित किया जाता है। प्रकृति को करीब से निहारने के शौकीन पर्यटकों को 15 जून के बाद पर्यटन सत्र समाप्त होने के बाद शेष बचे छह महीने मायूस ही होना पड़ता है। इधर अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व और विश्व प्रकृति निधि ने छह माह की जगह जंगल से बाहर साल भर पर्यटन चलाने की कवायद को रंग देना शुरू कर दिया गया। इसके साथ ही जंगल से सटे गांवों के ग्रामीणों को भी रोजगार से जोड़ने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। 

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फोटो- गांव सेल्हा के समीप स्थित ब्रिटिश काल में बना सप्त सरोवर।

जनपद के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद जंगल से सटे गांवों के ग्रामीण, जिनकी आजीविका मात्र जंगल पर ही टिकी थी, उनके आगे आर्थिक संकट हा गया था। इसको लेकर विश्व प्रकृति निधि और पीलीभीत टाइगर ने इन गांवों के ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने की पहल शुरू की थी। अब यह पहल धरातल पर उतरती नजर आ रही है। 

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फोटो- सेल्हा गांव में सप्त सरोवर के समीप बना गेट।

इन गांवों में इको विकास समितियों का गठन लोगों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में पीलीभीत टाइगर रिजर्व की बराही रेंज से सटे सेल्हा गांव के ग्रामीणों ने पर्यटन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की मिसाल पेश की है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व और विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से सेल्हा गांव के 11 ग्रामीणों ने होम स्टे योजना के तहत पर्यटकों के ठहरने के लिए कमरे तैयार किए गए हैं। पर्यटक जंगल के सटे एरिया में सैर सपाटा करने के बाद यहां रात्रि विश्राम कर सकते हैं।

11 सुसज्जित रूमों में की गई है पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था
बंगाली बाहुल्य गांव सेल्हा के ग्रामीणों ने होम स्टे योजना के तहत अलग-अलग स्थानों पर
11 रूमों को रंग रोगन कर आकर्षक रूप दिया है। विश्व प्रकृति निधि के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार के मुताबिक यहां पर्यटकों के रात्रि विश्राम के लिए इन कमरों में बेड, बाथरूम समेत अन्य व्यवस्थाएं भी की गई है।

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फोटो- सेल्हा में पर्यटकों के ठहरने के लिए बनाए गए रूम।

खास बात यह है कि सेल्हा के इन रूमों का किराया अन्य स्थानों पर होम स्टे योजना के तहत बने रूमों से काफी कम है। इतना ही नहीं, यहां ठहरने वाले पर्यटक स्थानीय पारंपरिक भोजन के साथ अपनी पसंद के भी व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं। इसको लेकर भी ग्रामीणों ने एक समिति के माध्यम से पूरी व्यवस्था की है।

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फोटो- रूम के अंदर पर्यटकों के ठहरने के लिए की गई व्यवस्थाएं।

महज 10 रुपये में उठाइए प्रकृति के नजारों का लुत्फ
टूरिज्म विलेज सेल्हा में ठहरने वाले पर्यटक मात्र 10 रुपये की रसीद कटवाकर टाइगर रिजर्व के बाहरी क्षेत्र में फैली हरियाली का तो लुत्फ उठा ही सकते हैं, साथ ही ब्रिटिश काल में बनी सात झाल (सप्त सरोवर) और शारदा सागर डैम से सन सेट व्यू का भी आनंद ले सकते हैं। यहां शारदा सागर डैम की तलहटी में बसी कॉलोनियों की छटा भी देखते ही बनती है।

जंगल से सटे गांवों को विकास और रोजगार से जोड़ने की कवायद चल रही है।  पीटीआर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से गांव सेल्हा को टूरिज्म विलेज के रूप में विकसित किया जा रहा है। पर्यटकों के ठहरने के लिए यहां अभी 11 रूमों की व्यवस्था की गई है। पर्यटकों के खाने-पीने की सुविधा भी समिति के माध्यम से की गई है--- डॉ. मुदित गुप्ता, वरिष्ठ समन्वयक, तराई आर्क लैंडस्केप।

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