पीलीभीत: बाघिन को भाया रिहायशी इलाका, रेडियो कॉलर से आईं पहचान में, निगरानी की खुली पोल
पीलीभीत, अमृत विचार: रेस्क्यू करने के बाद जिस बाघिन के गले में लगातार निगरानी के लिए रेडियो कॉलर लगाकर पीटीआर के जंगल में छोड़ा गया, वहीं बाघिन अब शहर समेत आसपास के रिहायशी इलाकों में घूम रही है। इससे जहां पीटीआर द्वारा बाघिन की निगरानी को लेकर किए जा रहे दावों की पोल खुलती नजर आ रही है, वहीं रिहायशी इलाकों में इंसान के साथ-साथ बाघिन की जान का भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
देर शाम बाघिन शहर के असम चौराहे के पास घूमती दिखाई दी थी, वहीं शुक्रवार को बाघिन शहर से सटे सड़िया गांव में गन्ने के खेत में डेरा जमाए रहीं। इससे आसपास के गांवों मे खासी दहशत है। फिलहाल सामाजिक वानिकी प्रभाग की टीम लगातार निगरानी में जुटी है।
कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव अटकोना में 26 दिसंबर को एक बाघिन को रेस्क्यू किया गया है। उस दौरान बाघिन किसान सुखविंदर सिंह के दीवार पर घंटों बैठी रही थी।
करीब एक घंटे तक चलते अभियान के बाद बाघिन को रेस्क्यू किया जा सका था। रेस्क्यू के दौरान बाघिन के अस्वस्थ होने की आशंका पर परीक्षण के बाद उसके ब्लड सैंपल को जांच के लिए आईवीआरआई बरेली भेजा गया था। वन अफसरों ने जांच में बाघिन के स्वस्थ होने की जानकारी दी थी। दो दिन बाद बाघिन को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया था।
बाघिन की लगातार निगरानी के लिए उसके गले में रेडियो कॉलर लगाकर रिलीज किया था। उस दौरान बाघिन की निगरानी के लिए एक निगरानी टीम का गठन करते हुए बड़े दावे किए गए थे, लेकिन गुरुवार शाम पीटीआर के निगरानी के दावों के उस समय पोल खुल गई, जब बाघिन जंगल से निकलकर शहर में जा पहुंची। शहर के असम रोड के समीप एक होटल के पीछे बाघिन देखे जाने से हड़कंप मच गया। शहर में बाघिन घुसने की सूचना से लोगबाग भी अपने वाहनों से बाघिन को देखने के लिए जा पहुंचे।
काफी देर तक आपाधापी का माहौल रहा। कुछ लोग तो बाघिन के पीछे वाहनों को दौड़ाते भी देखे गए गए। कई लोगों ने बाघिन के वीडियो भी वायरल कर दिए। वायरल वीडियो में बाघिन के गले में रेडियो कॉलर पड़ा दिखाई दिया। इस बीच पुलिस और सामाजिक वानिकी प्रभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने मौके पर जमा भीड़ को बमुश्किल नियंत्रित किया। देर रात तक बाघिन होटल के पीछे इलाके में ही चहलकदमी करती रही।
रात होने के चलते निगरानी टीम भी अंधेरे में हाथ पांव चलाती रही। इधर शुक्रवार को बाघिन के शहर से करीब चार किमी दूर सड़िया गांव के समीप जा पहुंची। बताते हैं कि बाघिन गन्ने में खेत में डेरा जमाए हुए हैं। सामाजिक वानिकी प्रभाग के डिप्टी रेंजर शेर सिंह के नेतृत्व में टीम निगरानी में जुटी हुई है। पीलीभीत रेंज के रेंजर पीयूष मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि बाघिन के शहर से करीब चार किमी दूर देवहा नदी के किनारे मौजूद होने के सूचना मिली थी। निगरानी टीम मौके पर मौजूद हैं, लेकिन बाघिन की कोई लोकेशन नहीं मिली है।
तीन दिन पहले ही जंगल से बाहर निकल चुकी थी बाघिन: तीन दिन पूर्व असम हाईवे पर गांव खागसराय के समीप बाघिन देखी गई थी। टोल टैक्स के समीप समीप बाघिन की चहलकदमी से हड़कंप मच गया था। उस दौरान कुछ लोगों ने घूम रहे बाघ के गले में पट्टा पड़ा होने की जानकारी दी थी।
कयास लगाया जा रहा था कि यह वही बाघिन है, जिसको रेस्क्यू करने के बाद रेडियो कॉलर लगाकर जंगल में छोड़ा गया था। उस दौरान वन अफसरों ने इसे सिरे से नकार दिया था। उस दौरान ही यदि वन अफसर सजग हो जाते तो बाघिन को आगे बढ़ने से रोका जा सकता था।
निगरानी के बड़े-बडे दावे, फिर भी ट्रेस नहीं हुई शहर की ओर बढ़ती बाघिन: रेस्क्यू की गई बाघिन की निगरानी को लेकर टाइगर रिजर्व प्रशासन द्वारा निगरानी टीम गठित करने की बात कहीं गई थी। टीम में उप प्रभागीय वनाधिकारी दिलीप तिवारी, महोफ रेंजर सहेंद्र यादव, वन दरोगा सुरेंद्र गौतम और वनरक्षक यशवीर सिंह को शामिल किया गया।
हर छह घंटे में बाघिन की लोकेशन अफसरों को भेजने की बात कही जा रही थी, लेकिन पिछले तीन दिन से जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों में घूम रही बाघिन ने टाइगर रिजर्व प्रशासन के सभी दावों की पोल रख दी। पिछले तीन दिन से बाघिन जंगल से दूर पीलीभीत-पूरनपुर हाईवे के आसपास घूम रही है। सवाल उठता है कि जब जिम्मेदार बाघिन की लगातार रेडियो कॉलर क जरिए निगरानी की बात कह रहे हैं तो उन्हें तीन दिन पहले बाघिन के हाईवे के किनारे की जानकारी क्यों नहीं हुई।
दस से अधिक गांवों में फैली दहशत: देर शाम बाघिन के शहर से सटे एरिया में देखे जाने से हड़कंप मच गया था। लोग घरों में कैद होकर रह गए थे। इधर बाघिन के शहर के शहर से करीब चार किमी दूर सड़िया गांव के समीप गन्ने में खेत में डेरा जमाए हुए हैं। असम चौराहे के आसपास क्षेत्र में बाघिन की चहलकदमी से इससे सटे नौगवा पकड़िया, गांव रुपपुर कृपा, रुपपुर कमालू, सड़िया, जंगरौली, वस्थना, सड़ा गौटिया, बरहा, राजीव कॉलोनी, खाग सराय के ग्रामीणों में खासी दहशत है। शाम होते ही इन गांवों में सन्नाटा पसर गया।
कलीनगर और न्यूरिया क्षेत्र में घूम रहे बाघ: कलीनगर क्षेत्र में बाघिन के रेस्क्यू किए जाने के बाद भी बाघों को लेकर खासी दहशत है। वजह यह है कि इस इलाके में एक से अधिक बाघ अभी भी डेरा जमाए हुए हैं। ग्रामीणों की माने तो अभी भी तीन से अधिक बाघ इलाके में घूम रहे हैं। वहीं न्यूरिया क्षेत्र में भी बाघों की चहलकदमी देखी जा रही है।
बाघिन के मूवमेंट को लेकर लगातार निगरानी कराई जा रही है। इसको लेकर वन क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में चार टीमों का गठन किया गया है। बाघिन के मूवमेंट पर लगातार निगाह रखी जा रही है। पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के साथ मौके पर जाकर जानकारी की गई। टीमों को सतर्क रहकर निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं। - आरके सिंह, डीएफओ, सामाजिक वानिकी प्रभाग
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