पीलीभीत:  बाघिन की दहशत.. दो परिवारों की मुसीबत में जान, बिना दरवाजे के घर पर लगाए तख्त, जिम्मेदारों ने खाबड़ लगाई न किए सुरक्षा के इंतजाम

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
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पीलीभीत, अमृत विचार: जंगल से बाहर घूम रही बाघिन से शहर से सटे गांवों में तो दहशत का माहौल  है ही, वहीं पिछले 48 घंटे से दो परिवारों की जान सांसत में है। यह दोनों परिवार बाघिन को कैद करने के लिए गए पिजड़े के समीप ही रह रहे हैं। खास बात यह है कि जिम्मेदारों ने इन परिवार की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। मजबूरन यह परिवार खुद ही अपने घर के सदस्यों और मवेशियों की सुरक्षित करने के इंतजाम में लगे हैं।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व से निकली बाघिन सप्ताह भर पहले पीलीभीत-पूरनपुर हाईवे पर गांव खाग सराय के पास देखी गई थी। इसके बाद बाघिन ने देर शाम शहर के असम चौराहे के समीप एक होटल के पीछे दस्तक दी। बाघिन को देखने के लिए जमा भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस और वनकर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।

उसी रात बाघिन शहर से करीब चार किमी दूर गांव सड़िया में पहुंच गई। अगली रात बाघिन ने गांव में घुसकर तीन मवेशियों का निवाला बना डाला था। इसके बाद बाघिन जंगरौली, मधुडांडी, बरखेड़ा के समीप एक बंगाली कॉलोनी समेत आसपास गांवों में  घूमती रही। 16 जनवरी को बाघिन बाघिन की लोकेशन इस्लाम नगर से करीब डेढ़ किमी दूर देवहा नदी के किनारे डबरी में पाई गई।

बाघिन की लोकेशन लगातार उसी स्थान पर मिलने के बाद वन अफसरों पिजड़ा लगाकर पकड़ने की योजना बनाई। 17 जनवरी की शाम पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल की देखरेख में वनकर्मियों द्वारा पिजड़ा लगा दिया गया। पिजड़े के बाहर बंधी बकरी को निवाला बनाने के बाद बाघिन लगातार आसपास ही मंडरा रही है।

वन महकमे द्वारा जिस स्थान पर पिजड़ा लगाया गया है, उससे करीब 150 की दूरी पर सिख फार्मर जगतार सिंह और नजीर शाह का घर भी है। बाघिन के लगातार आसपास मंडराने से दोनों परिवार पिछले 48 घंटे से दहशत के साये में जी रहे हैं। वजह यह है कि दोनों परिवारों की सुरक्षा को लेकर वन महकमे द्वारा न तो खाबड़ लगाई गई और न ही कोई अन्य इंतजाम किए। शाम होते ही दोनों परिवारों के सदस्यों की सांसे थमने लगती है।

इन परिवारों को आशंका है कि बाघिन उनके परिवार के किसी सदस्य या फिर मवेशियों पर हमला न कर दें। दोनों ही परिवारों ने निगरानी टीमों से जाल लगाने की भी मांग की, लेकिन 
बाघिन के डर से बिना दरवाजे के घर पर लगाए तख्त

परिवार की सुरक्षा को पल-पल दुआएं मांग रहा नजीर शाह का परिवार: बाघिन की दहशत से नजीर शाह का परिवार पल-पल अपने परिवार के लिए दुआएं मांग रहा है। वजह यह है कि बाउंड्री वॉल न होने की वजह से उनका घर चारों तरफ से खुला है। नजीर शाह यहां पत्नी, तीन पुत्रों, दो पुत्रवधुओं के साथ रहते है। आर्थिक स्थिति बेहतर न होने की वजह से उन्होंने घर तो जैसे-तैसे बनवा लिया, लेकिन अभी दरवाजे नही लग सके हैं।

घर के बाहर ही छप्परपोश पशुशाला में भैंसों समेत अन्य मवेशियों को रखा हुआ है। बाउंड्रीवॉल न होने की वजह से घर चारों ओर खुला हुआ है। 17 जनवरी की रात बाघिन ने नजीर शाह के कुत्ते को मार डाला। तबसे यह परिवार खासी दहशत में हैं। देर रात बाघिन के घर के नजदीक पहुंचने के बाद नजीर शाह का परिवार वन महकमे की ओर से कोई मदद न मिलती देख खुद ही बाघिन के हमले से बचने के लिए इंतजाम में जुटा है।

अमृत विचार की टीम जब मौके पर पहुंची तो नजीर शाह का पूरा परिवार बिना दरवाजों के घर को तख्त लगाकर बंद करने में जुटा देखा गया। वहीं उनके बेटे छप्परपोश पशुशाला को चारों ओर से बांस बल्लियां लगाकर बंद करते दिखे। परिवार की महिलाओं और बच्चों के चेहरों पर बाघिन का खौफ साफ दिखाई दे रहा था। महिलाएं बच्चों को बार-बार बाहर न निकलने की हिदायत देते दिखी।

नजीर शाह ने बताया कि रात बाघिन घर के बिलकुल नजदीक आ गई थी। बाघिन कहीं घर परिवारों के सदस्यों और मवेशियों पर हमला न कर दें , जैसे-तैसे संसाधन जुटाकर घर को बंद कर रहे हैं। वन विभाग द्वारा जाल भी नहीं लगाया गया है। बस बाघिन जल्दी पकड़ी जाए तभी मुसीबत से छुटकारा मिलेगा।

चारे के खेत के पास जमी बाघिन, मवेशियों पर रोजाना खर्च कर रहे पांच हजार
जगतार सिंह का पूरा परिवार भी बाघिन के खौफ से डरा-सहमा हुआ है। जगतार सिंह अपने दो भाईयों समेत अन्य परिवारों के साथ रहते हैं। जगतार सिंह की पशुशाला में एक दर्जन से अधिक पशु है। बाघिन के डर से परिवार के सदस्य तीन दिन से खेतों पर चारा लेने तक नहीं जा पा रहे है।

खास बात यह है कि जहां उनका चारे का खेत है, उसी से कुछ फर्लांग की दूरी पर बाघिन डेरा जमाए बैठी है। जैसे-तैसे हिम्मत बटोर कर परिवार के सदस्य खेत पर चारा लेने पहुंचे तो बाघिन ने दौड़ा लिया। घटना के बाद से पूरा परिवार दहशत में है। जगतार सिंह के भाई गुरपेज सिंह ने बताया कि हरा चारा न मिलने की वजह से मवेशियों पर रोजाना पांच हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

जिम्मेदार बोले- घर के अंदर ही सोए परिवार: परिवारों की सुरक्षा को लेकर जब सामाजिक वानिकी प्रभाग के डीएफओ आरके सिंह से दूरभाष पर वार्ता की गई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजड़ा लगाने का आदेश मिला था। वह लगा दिया गया है। परिवार के लोग अपने घरों के अंदर सोए, बाहर क्यों? अभी तो खाबड़ नहीं लग पाएगा।

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