रामलला की स्तुति के बाद अब कोई इच्छा नहीं बची: अनुराधा पौडवाल
पार्श्व गायिका बोलीं- प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव पर राम भुजंग गा कर 20 साल की इच्छा हुई पूरी
कहा- प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव पर भजन गाना मेरे लिए सौभाग्य की बात, जब-जब रामलला बुलाएंगे, मैं आऊंगी
अयोध्या। रामलला की स्तुति के बाद अब कोई इच्छा नहीं है। मेरी 20 साल पुरानी इच्छा पूरी हो गई। प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव पर भजन गाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। जब-जब रामलला बुलाएंगे, मैं आऊंगी। ये कहना है पहुंची जानी-मानी पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल का। वो बुधवार शाम शहर के एक होटल में ‘अमृत विचार’ से खास बातचीत कर रहीं थीं। कहा कि रामलला के समक्ष राम भजन प्रस्तुत करना उनके जीवन का अप्रितम क्षण है।
सुप्रसिद्ध गायिका ने अपने कॅरिअर के हर पड़ाव पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बचपन से ही उनकी रुचि संगीत में थी। इसके लिए उनकी मां ने प्रोत्साहित किया। लता जी उनकी आदर्श रही हैं, उन्हीं से प्रेरणा लेकर वह रेडिया व संगीत सुनकर गाने का अभ्यास करती थीं। उन्हें कॅरिअर का पहला ब्रेक अभिमान फिल्म से मिला। उसके बाद उन्होंने फिल्मी बहुत फिल्मी गाने गए। फिल्मों में करीब 20 साल गायकी के बाद उनकी रुचि भक्ति गाने की तरफ हुई। सन् 92-93 में उन्होंने भजन-स्तुति का गायन शुरू किया।
उन्होंने कहा कि करीब 20 साल पहले जब अयोध्या आई थी तो रामलला को टेंट में देखकर मन बहुत दुखी हुआ था। उस समय सिर्फ एक ही भाव मन में आया था कि प्रभु आप जल्द अपने भव्य मंदिर में विराजमान हों और उस दिन मैं आपके भजन गाऊं। उन्हीं की कृपा और आशीर्वाद से प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में रामलला के समक्ष राम भजन की स्तुति करने का अवसर मिला। जो मेरे जीवन का सबसे सौभाग्यशाली क्षण है। अब इसके आगे कोई इच्छा शेष नहीं है। जीवन की सारी तपस्या फलीभूत हो गई है। ये भी सच है कि बिना ईश्वर की मर्जी के जीवन में आप कुछ नहीं कर सकते। कहा कि मेरी बेटी की भी धार्मिक रुचि है और अब वो अधिकतर कार्यक्रम में मेरे साथ रहती है। वार्ता के समय उनकी पुत्री गायिका कविता पौडवाल भी साथ थीं।
पौडवाल के सुरों से सजी राग सेवा उत्सव की शाम
मंदिर के गर्भगृह में रामलला के प्रतिष्ठित होने के बाद जन्मभूमि परिसर में राग सेवा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रतिदिन शाम को आयोजित हो सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नामी कलाकार गायन, वादन व नृत्य प्रस्तुत कर अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में बुधवार को पहुंची जानी-मानी पार्श्व गायिका अनुराधा ने राम भजन प्रस्तुत कर रामलला के प्रति श्रद्धा निवेदित की। उन्होंने पायोजी मैंने राम रतन धन पायो..., ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजानिया... समेत कई राम भजन और संसकृत में राम भुजंग गाकर लोगों का मन मोह लिया।प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उन्होंने राम भुजंग की दो लाइनें गाईं थीं। जिसे आज पूरा किया।
मराठी, गुजराती, बंगाली में भी किया गायन
जानी-मानी पार्श्व गायिका ने बताया कि हिन्दी फिल्मों, भजन-स्तुति के अलावा उन्होंने बहुत से भाषाओं में गायन करने का मौका मिला। उन्होंने हिन्दी के अलावा मराठी, उड़िया, बंगाली, मराठी, गुजराती में भी गायन किया है। अनुभव भी अच्छे रहे हैं लेकिन भजन-स्तुति के गायन के बाद उनके कॅरिअर को एक नई दिशा मिली और हृदय में एक असीम शांति की अनुभूति भी हुई। उन्होंने बताया कि भजन के अलावा कुछ और करने की इच्छा नहीं है।
आशा, हेमंत, किशोर दा के साथ गायन रहा सबसे अच्छा अनुभव
गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा कि गायिकी में उनकी आदर्श रहीं लताजी के साथ काम करने की ख्वायिश अधूरी रह गई, लेकिन उनकी प्रेरणा से आज यहां तक पहुंची हूं। उन्होंने बताया कि आशा, हेमंत, किशोर दा, तलत महमूद के साथ उन्हें काम करने का मौका मिला। इससे उन्हें बहुत कुछ अनुभव भी हासिल हुए। सभी के साथ काम करना उनके लिए बहुत बड़ी बात है।
मोदी और योगी जी की वजह से बदल गई अयोध्या
गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा कि भव्य मंदिर में रामलला के दर्शन कर बहुत सुखद अनुभूति हुई। यही नहीं अब तो पूरी अयोध्या ही बदल गई। यहां की गलियां चौड़ी सड़कों में बदल गईं। ये सब मोदी जी और योगी जी के विजन के कारण ही संभव हुआ है। आज अयोध्या आकर बहुत अच्छा लगता है।
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