ज्ञानवापी मामला: अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति को हाईकोर्ट से लगा झटका!, वुज़ुखाना क्षेत्र के सर्वेक्षण मामले में जारी हुआ नोटिस

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Published By Sachin Sharma
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर वुज़ुखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश देने से इनकार करने वाले वाराणसी जिला जज के आदेश (अक्टूबर 2023) को चुनौती देते हुए दाखिल नागरिक पुनर्विचार याचिका पर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति को नोटिस जारी किया है।

उक्त पुनर्विचार याचिका श्रृंगार गौरी पूजन वाद 2022 (वर्तमान में वाराणसी न्यायालय में लंबित) में वादी नंबर 1 राखी सिंह ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से दाखिल की है। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की पीठ द्वारा मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के ठीक एक सप्ताह बाद यह मामला सुनवाई के लिए आया है।

इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ को नामित किया गया। पीठ के पूछने पर कि एएसआई तो सर्वे कर चुका है। रिपोर्ट भी जमा कर दी गई है। इस पर सौरभ तिवारी ने कहा कि वुजुख़ाने का भी एएसआई सर्वेक्षण आवश्यक है, जिससे पूरी संपत्ति का धार्मिक चरित्र निर्धारित किया जा सके। कोर्ट ने यह भी प्रश्न किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एरिया सील करने का आदेश दिया है, तब कैसे सर्वे हो सकता है? इस पर अधिवक्ता ने तर्क दिया कि गैर-आक्रामक तरीकों का उपयोग करके वुज़ुखाना ('शिवलिंग' को छोड़कर) का सर्वेक्षण करना संभव है।

इन तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को नोटिस जारी किया। बता दें कि एएसआई ने पहले ही वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया और अपनी रिपोर्ट वाराणसी जिला जज को भी सौंप दी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि मौजूदा संरचना (ज्ञानवापी मस्जिद) के निर्माण से पहले वहां बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के हिस्सों का उपयोग मौजूदा संरचनाओं (ज्ञानवापी मस्जिद) के निर्माण में किया गया। एएसआई ने यह सर्वेक्षण वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई 2023 के आदेश के अनुसार यह निर्धारित करने के लिए किया कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया।

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि 'वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं, कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना (ज्ञानवापी मस्जिद) के निर्माण से पहले वहां हिंदू मंदिर मौजूद था।'

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