गड्ढों की तो बात छोड़िये सरियों का जाल भी आया बाहर; कुछ ऐसा है कानपुर में 11 साल में बने सीओडी पुल का हाल...

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर में सीओडी पुल पर कई जगह गड्ढे हो गए हैं।

कानपुर में 11 साल में बनकर तैयार हुआ सीओडी पुल लोकार्पण के चार साल बाद ही क्षतिग्रस्त होने लगा है। रामादेवी से टाटमिल आने पर सीओडी पुल पर बिटुमिन सरफेस उखड़ने से जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं।

कानपुर, अमृत विचार। 11 साल में बनकर तैयार हुआ सीओडी पुल लोकार्पण के चार साल बाद ही क्षतिग्रस्त होने लगा है। रामादेवी से टाटमिल आने पर सीओडी पुल पर बिटुमिन सरफेस उखड़ने से जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। जिनसे सरियों का जाल दिखाई पड़ रहा है। 

सीओडी 2

रामादेवी से टाटमिल की ओर जाने पर क्रॉसिंग से जीटी रोड पर लगने वाले जाम के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जिससे निजात के लिए सीओडी पुल का निर्माण शुरू कराया गया था। वर्ष 2009 में पुल बनाने का कार्य बिश्वा इंफ्राटेक कंपनी को दिया गया था। जुलाई 2010 में कार्यदायी संस्था ने 790 मीटर लंबे पुल का निर्माण कार्य 34.41 लाख रुपये की लागत से शुरू किया था। लेकिन कार्य में लापरवाही बरतने पर वर्ष 2013 में कंपनी को बर्खास्त कर दिया गया था। 

इसके बाद एसएच इंफ्राटेक ने फरवरी 2014 में काम शुरू किया। कार्यदायी संस्था ने लचर प्रणाली जारी रखी, जिस पर कंपनी पर 3.84 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। 29 दिसंबर 2019 को रामादेवी से टाटमिल की ओर जाने वाले पुल का निर्माण कार्य पूरा किया गया था। 26 जनवरी 2020 को तबके औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने पुल का लोकार्पण कर जनता को समर्पित किया था। 

इतनी जद्दोजहद के बाद तैयार हुआ पुल चार वर्ष बीतते ही जर्जर हो गया। पुल की बिटुमिन सरफेस उखड़ने से पुल पर एक दर्जन से भी ज्यादा गड्ढे हो गए हैं। पुल पर कई स्थानों पर सरियों का जाल तक दिखने लगा है। 

पुल को निरीक्षण किया गया था। मौसम खराब होने के कारण बिटुमिन सरफेस का काम नहीं कराया जा सकता था। मौसम साफ रहने पर तीन से चार दिनों के अंदर पुल के गड्ढे भरने का काम शुरू पूरा किया जाएगा। - अभिषेक सिंह, जेई, पीडब्ल्यूडी, एनएच डिवीजन

नंबर गेम

2009 -पुल बनने की शुरूआत 
2013-लापरवाही पर कार्यदायी संस्था बर्खास्त 
2014 पुन: निर्धारित की गई कार्यदायी संस्था 
3.84 करोड़- लचर प्रणाली पर लगा जुर्माना
2019- निर्माण कार्य पूरा

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