Kanpur News: जेल की तस्वीर बदल रहे कैदी; कर रहे हैं पढ़ाई; बाहर आकर संवारेंगे अपना जीवन...

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। जेल में बंद अपराधी अब अपने को सुधारने में लग गए हैं। इसके लिए जेल प्रशासन की तरफ से उन्हें शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। बनाई गई योजना के अनुसार जेल में बंद उच्च शिक्षित बंदी अब ऐसे बंदियों की क्लास ले रहे हैं, जिनका पढ़ाई में मन लगता है। इस योजना से एक तरफ अपराधियों में शिक्षा का प्रकाश फैल रहा है, वहीं वो जब जेल से छूटकर आएंगे तो समाज में अपराधी नहीं एक जिम्मेदार नागरिक भी कहलाएंगे। 

इस हुनर में जहां अधिवक्ता साथी बंदियों की पैरवी के लिए कानूनी सलाहकार की भूमिका में हैं वहीं बीबीए, एमबीए और एमसीए वाले अपराधी जेल में आने वाले बंदियों की हिस्ट्री तैयार कर रहे हैं। जेल में बंद 496 पढ़े-लिखे बंदी अपने लगन, हुनर और शिक्षा के बल पर जेल की तस्वीर बदल रहे हैं।

जेल अधीक्षक डॉ. बीडी पांडेय ने बताया कि वर्तमान में जेल में करीब 2500 बंदी हैं। जिसमें 449 पुरुष और 49 महिलाएं शिक्षित हैं। इनमें से हाईस्कूल, बीए, एमए से लेकर बीएड, एमएड, पीएचडी, बीटेक, एमसीए, बीसीए, बी.फार्मा और सिविल इंजीनियरिंग समेत अन्य उच्च शिक्षा से शिक्षित बंदी और कैदी जेल में बंद हैं। 

इन बंदियों को उनकी रुचि अनुसार जिम्मेदारी दी गई है। बीए, एमए, बीएड और एमएड वाले लोग जेल में बंद अनपढ़ और कम पढ़े लिखे लोगों को साक्षर करने में लगे हैं। यहां पर प्राइमरी से लेकर इंटर तक की कक्षाएं चलाई जाती हैं। इन कक्षाओं में पढ़ने वाले अनपढ़ बंदी अब अखबार पढ़ना सीख गए हैं और हस्ताक्षर करने लगे हैं।

जेल अस्पताल में लगे बीफार्मा और डीफार्मा बंदी 

जेल अधीक्षक ने बताया कि बंदियों को जेल अस्पताल में उनकी स्वेच्छा से लगाया गया है। जेल अस्पताल में बीफार्मा और डीफार्मा वाले बंदी भी हैं। इस तरह के बंदियों को दवाओं की अच्छी समझ होने के चलते बीमार बंदियों को अच्छी दवा देने में सहयोग और अपने साथियों को प्रेरित करने के लिये लगाया गया है।

जेल का नक्शा सिविल इंजीनियर ने बदल दिया

जेल में गंभीर मुकदमों में दो सिविल इंजीनियर बंद हैं। उन्होंने जेल में आने के बाद से मेंटीनेंस के साथ ही जेल में कई निर्माण कराए हैं। जिसकी वजह से अब जेल में निर्माण कार्य के लिए बाहर से किसी इंजीनियर को नहीं ले जाना पड़ता है। जेल मेंटीनेंस का पूरा काम सिविल इंजीनियर बंदियों के ही हवाले हैं।

रोजगार करके मिल रही आर्थिक मदद

रोजगार के लिए जेल के अंदर बंदियों के लिए मोजा बनाने की यूनिट लगाई गई थी। मोजा यूनिट में काम करने वाले बंदी यहां से कारीगर बनकर निकलेंगे। अगर वह चाहेंगे तो खुद की इकाई शुरु कर सकते हैं नहीं तो उन्हें आसानी से नौकरी भी मिल जाएगी। इसके साथ ही सिलाई, मोमबत्ती समेत अन्य काम करके बंदी अपनी कमाई कर परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग कर रहे हैं।

एक नजर जेल के आंकड़ों पर

शिक्षित बंदियों की संख्या

हाईस्कूल- 203
इंटर- 97
बीए- 70
बीटीसी- तीन
एमए-17
बीएससी-56
एमएससी-तीन
बीकॉम-17
एमकॉम- छह
एलएलबी-नौ
बीएड-सात
एमएड-तीन
बीटेक-पांच
पीएचडी- एक
इंजीनियर- दो
डी-फार्मा और बी-फार्मा- एक-एक

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