Shahjahanpur News: ढाई घाट मेले में ट्रैक्टर-ट्रॉली से दबकर मासूम की मौत, परिवार में मचा कोहराम

Amrit Vichar Network
Published By Moazzam Beg
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मिर्जापुर, अमृत विचार। कस्बा निवासी मिठाई व्यापारी के एकलौते पुत्र की ढाई घाट मेले में ट्रैक्टर-ट्रॉली की चपेट में आने से मौत हो गई। घटना के बाद काफी देर तक लोग जाम में फंसे रहे। बच्चे की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। घटना स्थल फर्रुखाबाद के थाना शमशाबाद क्षेत्र का होने की वजह से शव पोस्टमार्टम के लिए फर्रुखाबाद भेजा गया है। पुलिस ने ट्रैक्टर-ट्रॉली को कब्जे में ले लिया है।

मिर्जापुर कस्बा निवासी अंकुश गुप्ता की मुख्य चौराहे पर मिठाई की दुकान है। रविवार को अंकुश का ढाई वर्षीय इकलौता बेटा नमन उर्फ लड्डू अपनी दादी माया देवी व ताऊ रविनेश गुप्ता के साथ बाइक से ढाई घाट मेला गया था। मेला पहुंचने पर पुल से पहले लगी खिलौनों की दुकानें देखकर नमन गेंद लेने की जिद करने लगा। 

इस पर रविनेश गुप्ता ने बाइक सड़क किनारे खड़ी कर दी और नमन का हाथ पकड़ कर दुकान के पास जाकर उसके लिए गेंद लेने लगे। इसी बीच रविनेश के हाथ से नमन का हाथ छूट गया और वह सड़क किनारे आ गया। इतने में तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली आ गया और मासूम नमन ट्रैक्टर की चपेट में आ गया। ट्रैक्टर का पहिया उसके ऊपर से निकल गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। 

अचानक आंखों के सामने बच्चे की दर्दनाक मौत से दादी माया व ताऊ रविनेश बेसुध हो गए। मौके पर लोगों की भीड़ लग गई। जिससे जाम की स्थिति बन गई। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौक पर पहुंच गई और मामले की जानकारी कर ट्रैक्टर-ट्रॉली को कब्जे में ले लिया। 

घटना स्थल फर्रुखाबाद के थाना शमशाबाद क्षेत्र का होने की वजह से शमशाबाद पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए फर्रुखाबाद भेज दिया और ट्रैक्टर-ट्रॉली को कब्जे में लेकर शमशाबाद थाने में खड़ा कर लिया। इधर, जब मासूम नमन की मौत की खबर घर पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया। पिता अंकुश परिजनों व रिश्तेदारों के साथ घटनास्थल चला गया। मां रोशनी गुप्ता व परिवार की अन्य महिलाओं का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था।

दिन भर सबको हंसाता था, अब रुलाकर कहां चला गया नमन
मासूम नमन की मौत से मां रोशनी गुप्ता रोते-रोते शांत होती तो एक ही बात निकलती कि मेरा मासूम नमन अपनी तोतली बातों से पूरे परिवार को हंसाता रहता था, अब रुला कर चला गया। काश मैने बेटे के मेला जाने की जिद को न माना होता तो मेरे नमन की जान नहीं जाती। बिलख रही मां और दादी व परिवार की अन्य महिलाओं को देखकर हर किसी की आंखें नम हो रहीं थीं।

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