Kanpur: सिद्धनाथ मंदिर जाना पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं; शिवरात्रि पर खुदी सड़कें, खुले मैनहोल से बचकर तय करना होगा रास्ता

Kanpur: सिद्धनाथ मंदिर जाना पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं; शिवरात्रि पर खुदी सड़कें, खुले मैनहोल से बचकर तय करना होगा रास्ता

कानपुर, अमृत विचार। जाजमऊ से सिद्धनाथ मंदिर जाने वाली सड़क बेहद जर्जर हालत में है। बमुश्किल एक किमी इस सड़क पर कहीं गड्ढा, कहीं मेनहोल का खुला, कहीं जलभराव है। इन्हीं दुश्वारियों के बीच होकर शिवरात्रि (आठ मार्च) को शिवभक्त मंदिर पहुंचेंगे। शहर के प्रमुख शिवमंदिरों में शुमार सिद्धनाथ मंदिर में इस दिन हजारों की संख्या में भक्त जल चढ़ाएंगे, मगर उन्हें मंदिर तक पहुंचने में तमाम परेशानी उठानी  पड़ेगी। 

सिद्धनाथ मंदिर जाने वाली सड़क इस समय खुदी पड़ी है। इस एक किमी रोड पर करीब दो दर्जन से अधिक गड्ढे हैं। कई जगह तो गड्ढों का दायरा इतना बड़ा है कि ई-रिक्शा बैठ जाए। बाइक सवारों के लिए मैनहोल के खुले ढक्कन और उसके आसपास के गड्ढे ही जानलेवा साबित हो सकते हैं। सड़क पर कई जगह दुकानों और घरों से निकलने वाला गंदा पानी जमा है। वहां गड्ढे के आकार का अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता है। 

आम दिनों में तो लोग इससे किसी तरह बच सकते हैं, मगर शिवरात्रि के दिन इस रोड पर हजारों की संख्या में शिवभक्त निकलेंगे। ऐसे में यह जर्जर रास्ता भक्तों के लिए मुसीबत बनेगा। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार इस रोड पर वाहनों का लोड भी बहुत है। दो पहिया, चार पहिया वाहनों के अलावा टेनरियों के भारी वाहन भी इसी रोड से निकलते हैं। 

माल लदे बड़े वाहनों के निकलते समय धूल के गुबार के कारण कुछ नहीं दिखाई देता है। वाहनों के पहिये से छिटककर उठने वाली गिट्टी व पत्थर किसी को भी घायल कर सकती हैं। शिवरात्रि को एक सप्ताह ही बचे और सड़क की हालत पैदल चलने लायक नहीं है। 

धूल

सांस रोगी बना रहा धूल का गुबार 

रोड पूरी तरह उखड़ी पड़ी है। वाहनों की आवाजाही बहुत है। इस रोड पर टेनरियां भी हैं। ऐसे में सुबह से लेकर शाम तक भारी वाहन निकलते हैं। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार ट्रक, डंपर निकलने पर सड़क पर उठने वाले धूल के गुबार के कारण दूर-दूर तक कुछ नहीं दिखाई देता है।  10 मिनट तक धूल नहीं बैठती है। इतनी देर सांस तो नहीं रोक सकते। मुंह पर रुमाल लगाने के बाद भी काफी धूल फेफड़ों में जाती है। लोग को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है।

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