पीलीभीत: उम्मीदों पर फिरा पानी, आचार संहिता से थमी मेडिकल कॉलेज की रफ्तार, जानिए पूरा मामला
पीलीभीत, अमृत विचार: तेजी से चल रही मेडिकल कॉलेज को फुल फ्लैश तरीके से संचालन कराने की प्रक्रिया आचार संहिता लागू होने के बाद ठंडे बस्ते में चली गई है। मान्यता को लेकर चल रही तैयारियों में जिम्मेदारों का ढुलमुल रवैया रहा और अभी तक कार्यों को पूरी नहीं किया जा सका। इधर, अब आचार संहिता लागू होने के बाद एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) टीम का दौर भी अधर में लटक गया है। जिस कारण आगामी नवीन सत्र के संचालन को लेकर भी संकट बादल मंडराने लगे हैं।
यूपी सरकार ने वर्ष 2020 में पीलीभीत को राजकीय मेडिकल कालेज दिया था। राजकीय मेडिकल कॉलेज की परियोजना 27 मार्च, 2020 को स्वीकृत हुई थी। इसके निर्माण के लिए 284.60 करोड़ का बजट स्वीकृत करते हुए पूरनपुर हाईवे पर खाग गांव में 15 एकड़ जमीन पर इसका निर्माण कराया जा रहा है। शासन की इच्छा है कि मेडिकल की पढ़ाई को नए शैक्षिक सत्र 2023-24 में शुरू कराने पर जोर दिया था, जोकि पूरा नहीं हो सका।
लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए शासन ने इससे जल्द ही शुरू कराने की कवायद की थी। एक अप्रैल 2023 को प्रथम एलओपी (लेटर ऑफ परमीशन )के संयुक्त चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज के अधीन कर दिया गया था। जहां प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा को बतौर प्राचार्य की जिम्मेदारी बनाकर शासन से भेजा गया था। ताकि तैयारियों को गति मिल सके।
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके संचालन और मान्यता को लेकर फरवरी में एनएमसी का दौरा प्रस्तावित किया गया था। इससे पहले एनएमसी ने तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए थे। मगर अभी एनएमसी के मानक के तहत तैयारियां पूरी नहीं हो सकी। आलम यह है कि मेडिकल कॉलेज में 30 बेड की इमरजेंसी होनी चाहिए, जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।
साथ ही नए संसाधनों की खरीदारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। पूर्व में भर्ती को लेकर भी टेंडर अपलोड किए गए थे। जिसमें खामियां होने पर उसे निरस्त कर दिया गया, लेकिन दोबारा हीलाहवाली के चलते टेंडर नहीं हो सका। साथ ही अन्य काम भी अधर में लटके हुए हैं। इधर, अब आचार संहिता लागू होने के बाद सभी तैयारियों पर विराम लग गया है, जो कार्य चल रहे हैं। अब सिर्फ वहीं चल रहे हैं।
इधर, आचार संहिता के चलते एनएमसी का दौर भी स्थगित होने की संभावना तेज हो गई है। आगामी मेडिकल पढ़ाई के सत्र में बाधा बन सकता है। क्योंकि नीट का एग्जाम समस्त मेडिकल कॉलेज की सीटों के आधार पर कराया जाता है। पीलीभीत में अभी तक फाइनल नहीं हो सकी है। जिस वजह से पिछली बार की तरह इस बार भी शैक्षिक सत्र चालू होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
हॉस्टल और एकेडमिक ब्लॉक नहीं हुआ हैंडओवर
- मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए बनाए गए एकेडमिक ब्लॉक बनकर तैयार हो चुका है। मगर अभी कार्यदायी संस्था ने हैंडओवर नहीं किया है। मगर सूत्रों की मानें तो पूरा मेडिकल कॉलेज का संचालन वहीं से किया जा रहा है। जहां अस्पताल के स्टाफ की भी ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा कैंपस में बने रहे पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर के आवास का भवन भी हैंडओवर नहीं हो सका है। जिसकी प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है।
मेडिकल कॉलेज बनने के बाद वहां पढ़ाई के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए क्लास में बैठने के लिए फर्नीचर और संसाधन खरीदने के लिए शासन ने 16 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। क्योंकि बिना तैयारियों के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की मान्यता नहीं मिल सकेगी।
कयास लगाए जा रहे हैं कि टीम निरीक्षण करने के लिए आ सकती है। इसलिए तैयारियों को तेजी दी गई है। फर्नीचर खरीदने के लिए सूची बनाई जा रही है। तैयार हो रहे 200 बेड के अस्पताल को लेकर भी संसाधन खरीद जा रहे हैं। ताकि सुविधाएं मुहैया हो सके। लेकिन अभी तक फर्नीचर और उपकरणों की खरीद अधर में लटकी हुई है।
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