शाहजहांपुर: जिले का एक भी किसा किसान मुआवजा और फसल बीमा पाने को पात्र नहीं, मानक पर नहीं उतरे खरे

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Published By Vikas Babu
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शाहजहांपुर, अमृत विचार: भारी बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान होने के बाद भी जिले का कोई किसान मुआवजा व बीमा के लिए पात्र नहीं मिला है। 25, 33 और 50 प्रतिशत नुकसान के मानक पर एक भी किसान खरा नहीं उतर सका है। जबकि हजारों किसानों की फसल को नुकसान हुआ है। इन किसानों को न तो सरकारों की ओर से कोई मुआवजा दिया जा सका और न ही फसल बीमा योजना के तहत बीमा का पैसा दिया जा सका है। नियमों की जटिलता में किसानों की मुआवजे की मांग उलझ कर रह गई है। 

शहर से सटे गांव मिश्रीपुर के किसान मोहम्मद उवैस, कांट क्षेत्र के रोहित कुमार, पिपरौला के अभिषेक ने बताया कि किसान फसल नुकसान होने पर मुआवजे के लिए सरकार की ओर देखते हैं और मुआवजे के लिए पुकार करते हैं, लेकिन उनकी पुकार नियमों की जटिलताओं में उलझ कर रह जाती है। किसानों का कहना है कि वह विषम परिस्थितियों में खेती करते हैं। 

फसल उगाने में पूरी जमा पूंजी लगा देते हैं। उनका पूरा भविष्य आने वाली फसल पर निर्भर होता है। इसके बाद भी अगर प्राकृतिक आपदा आ जाती है और उनकी फसल बर्बाद हो जाती है तो उन्हें भारी परेशानी होती है। उनके सामने यह समस्या हो जाती है कि वह अगली फसल कैसे बोएं, जिन लोगों से खाद, दवा, बीज लेकर लगाया है, उनका उधार कैसे चुकाएं। इसके अलावा बैंक का कर्ज कैसे चुकाएं। 

कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि दूसरों का पेट भरने वाले किसानों को खुद आधे पेट पर सोना पड़ता है। फसलों का दाम सरकार तय करती है तो उसे किसानों के साथ मुसीबत के समय खड़ा भी रहना चाहिए। अगर किसानों की फसल बर्बाद होती है तो उन्हें कुछ राहत भी देनी चाहिए वरना किसान ऐसे ही खेती छोड़ते रहेंगे। 

प्राकृतिक आपदा में अगर किसानों की फसल को नुकसान होता है तो सरकार को मुआवजा देना चाहिए। बीमा के नियमों में भी बदलाव किया जाना चाहिए। ताकि फसल खराब होने पर किसान दोबारा फसल बोने की स्थिति में रहे। उसे खेती छोड़नी न पड़े। किसान ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते हैं। जिसके चलते वह अपनी आवाज ठीक से नहीं उठा पा रहे हैं। उन्हें सरकार से ही उम्मीद है। सरकार को दस प्रतिशत नुकसान होने पर भी मुआवजा और फसल बीमा का लाभ किसानों को देना चाहिए। 

15 प्रतिशत तक हुआ था नुकसान
किसानों का कहना है कि दो, तीन और चार मार्च को जिले में हुई भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं से गेहूं, तंबाकू और मसूर सहित कई फसलों को नुकसान हुआ था। कहीं दस तो कहीं-कहीं 15 प्रतिशत से भी ज्यादा नुकसान हुआ था। प्रशासन ने सर्वे कराया तो उसमें भी आया कि आठ से दस प्रतिशत तक फसलें बर्बाद हुई हैं। इसके बाद भी एक भी किसान को नुकसान का मुआवजा नहीं दिया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत तमाम किसानों ने बीमा कराया था। उनमें से सात ने बीमा पाने के लिए आवेदन भी किया। इसके बाद भी उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिल सका। 

25, 33 और 50 प्रतिशत पर मिलता है मुआवजा
किसान भले ही मुआवजे की मांग कर रहे हों, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी नियमों का हवाला देकर किसानों की मद्द कर पाने में असमर्थता जता रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी क्षेत्र में 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है तो वहां किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ मिलेगा। इसी तरह 50 प्रतिशत उत्पादन घटने पर बीमा का पैसा दिया जा सकता है। फसल नुकसान मुआवजा कम से कम 33 प्रतिशत नुकसान होने पर दिया जाता है। अगर नियमों पर किसान खरे नहीं उतरते हैं तो उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाता है।  

क्या कहते हैं किसान
सरकार धर्म के नाम पर वोट लेना चाहती है, लेकिन किसानों को कुछ राहत नहीं देना चाहती है। जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है सरकार को उन्हें राहत देनी चाहिए--- तलविंदर सिंह मोमी, जिलाध्यक्ष किसान यूनियन चढ़ूनी गुट।

किसी किसान का दस प्रतिशत भी नुकसान होता है तो भी मुआवजा मिलना चाहिए। जिसका कम हुआ है उसे कम और जिसका ज्यादा नुकसान हुआ है उसको ज्यादा मुआवजा मिलना चाहिए---सचिन मिश्रा, तहसील महासचिव राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन।

जिले के किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है, क्योंकि वह नियमों पर खरे नहीं उतरे। 33 प्रतिशत से कम नुकसान होने पर मुआवजा नहीं दिया जाता है। 33 प्रतिशत तक नुकसान पर मुआवजा दिया जाता है-- डॉ. सुरेश कुमार, एडीएम वित्त।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्षेत्र में 25 प्रतिशत नुकसान होने व उत्पादन में 50 प्रतिशत तक कमी आने पर ही फसल बीमा योजना का लाभ दिया जाता है। जिले में ऐसा नहीं हुआ है--- सतीश चंद्र पाठक, जिला कृषि अधिकारी।

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