हल्द्वानी: अफसाना के हत्यारे के साथ चश्मदीद, खतरे में अलीशा और इबरा की जान

हल्द्वानी: अफसाना के हत्यारे के साथ चश्मदीद, खतरे में अलीशा और इबरा की जान

हल्द्वानी, अमृत विचार। अपनी पत्नी आस्था उर्फ अफसाना की हत्या करने वाला सौरभ अपनी नाबालिग बेटियों को भी मौत के घाट उतार सकता है। दोनों बेटियां ही अफसाना की मौत की इकलौती चश्मदीद हैं। घटना के बाद से फरार सौरभ आगरा को छिपने का ठिकाना बना सकता है, क्योंकि वह काफी समय से वहीं काम कर रहा था। पुलिस सौरभ की तलाश में है, लेकिन उसकी लोकेशन अभी ट्रेस नहीं हो पाई है।

रुद्रपुर सुभाषनगर में सौरभ और अफसाना का परिवार आस-पास रहता था। करीब आठ साल पहले दोनों को प्यार हुआ और घरवालों के खिलाफ जाकर दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। हल्द्वानी में मकान मालिक गंगा राम मौर्या से लेकर रुद्रपुर तक सौरभ के कारनामों के चर्चे हैं। उसे जानने वाला हर व्यक्ति जानता है कि सौरभ और अफसाना के रिश्ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे थे।

हर कोई उसे शराब का लती और बेहद झगड़ालू प्रवृत्ति का बता रहा है। हल्द्वानी में गंगा और पड़ोस में रहने वाली महिला ने बताया कि सौरभ जब भी आता था, दोनों के बीच विवाद होता था। यही बात सुभाष कॉलोनी रुद्रपुर में रहने वाले सौरभ के छोटा भाई कुलदीप ने भी कही।

कुलदीप को डर है कि अगर उसने अफसाना की हत्या की है तो वह इबरा और अलीशा को भी जान से मार सकता है। कुलदीप का कहना है कि पिछले कुछ समय से सौरभ आगरा में काम कर रहा था। हो सकता है कि वह वहीं गया हो। बहरहाल, पुलिस का कहना है कि सौरभ की तलाश की जा रही है और जल्द ही वह हिरासत में होगा। हालांकि पुलिस अभी तक उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं कर पाई है। 

मां की मौत पर गढ़ी पत्नी के कत्ल की कहानी
सौरभ ने जब से अफसाना से शादी की तभी से उसने अपने परिवार से दूरी बना ली थी। छोटे भाई कुलदीप का कहना है कि शादी के बाद से वह कभी घर नहीं आया। बीती 15 मार्च को जब मां शांति की मौत हुई, तब सौरभ, अफसाना के साथ घर आया था। वह तीन दिन यहीं रुका और फिर आगरा चला गया। आगरा जाने से पहले वह अपने मोबाइल का सिम छोटे भाई कुलदीप को दे गया और खुद नया नंबर ले लिया। ऐसे में माना जा रहा है कि सौरभ ने नंबर इसलिए बदले क्योंकि उसने रुद्रपुर में हत्या की साजिश रच ली थी।

मकान मालिक ने नहीं कराया था सत्यापन
पूरे मामले में एक और बात सामने आई कि मकान मालिक गंगा राम ने मकान किराए पर देने से पहले सौरभ का सत्यापन नहीं कराया था। मृतका अफसाना और सौरभ के बारे में पुलिस ने गंगा से पूछताछ शुरू की तो पता लगा कि उसके पास न तो अफसाना का और न ही सौरभ का किसी तरह का कोई पहचान पत्र है। गंगा को सौरभ का नाम तक पता नहीं था। उसके पास सौरभ का एक मोबाइल नंबर था और वो भी सौरभ का छोटा भाई कुलदीप इस्तेमाल कर रहा था। ऐसे में पुलिस भी आधी-अधूरी जानकारी के साथ वापस लौट गई। 

हत्या से एक दिन पहले भाई को बुरी तरह पीटा
 शादी के बाद से सौरभ कभी अपने घर नहीं गया। 8 साल बाद वह मां की मौत पर 15 मार्च को और फिर अफसाना की हत्या से ठीक एक दिन पहले 7 अप्रैल को घर गया था। उस दिन वह अपने भाई से मिला और उसे बुरी तरह पीटा। कुलदीप, सौरभ के दिए नंबर पर गूगल पे चला रहा था। कुलदीप ने खाते में पैसे जमा किए थे, जिसे सौरभ ने निकाल लिए। इसी को लेकर मारपीट हुई। सौरभ ने जान से मारने की भी धमकी दी। बात इतनी बढ़ी कि भाई से बचने के लिए कुलदीप को रुद्रपुर की बाजार चौकी का सहारा लेना पड़ा और अगले दिन सौरभ ने अफसाना को मार डाला।

अफसाना की सबसे बड़ी राजदार है संतोष
अफसाना जिस घर में किराए पर रहती है, उसी घर से कुछ दूरी पर संतोष भी किराए पर रहती है। दोनों साथ मजदूरी करने जाते थे और दोनों एक-दूसरे की अच्छी सहेलियां थीं। इसका खुलासा पुलिस की पूछताछ में गंगा राम ने किया। जिसके बाद पुलिस ने भी संतोष से पूछताछ की। माना जा रहा है कि संतोष ने पुलिस को कई अहम जानकारी दी है। इसके अलावा अफसाना अपने पड़ोसी से भी मतलब नहीं रखती थी। पड़ोसियों का कहना है कि वह अपनी बेटियों को भी बाहर खेलने नहीं भेजती थी और न ही पढ़ने के लिए स्कूल।

सौरभ ने मकान मालिक से छिपाया अफसाना का धर्म
 बीती 29 फरवरी को सौरभ किराए का मकान तलाशते हुए गंगा राम के पास पहुंचा था। इसी दिन दो हजार रुपये माह किराए पर सौदा तय हो गया। एक छोटे से कमरे में चार लोगों का परिवार रहता था। कमरा लेते वक्त सौरभ ने गंगा को यह नहीं बताया कि अफसाना मुस्लिम है। पूछने पर उसे अफसाना का नाम आस्था बताया। एक दिन गंगा ने अचानक आस्था का आधार कार्ड देख लिया, जिस पर आस्था की जगह अफसाना लिखा था। तब धर्म का राज उजागर हुआ, लेकिन सौरभ ने यह कह दिया कि वह शादी कर चुका है और वह भी हिंदू है। 

मरे जानवर की बदबू समझकर नकारते रहे अंदेशा
गंगा राम का दो मंजिला मकान है। मकान के अगले हिस्से में उनका बेटा छोटू रहता है। घर के पिछले हिस्से में खुद गंगा राम रहते हैं। गंगा का कमरा घर के मुख्य द्वार की ठीक सामने है। कौन आ रहा है और कौन जा रहा है, इस कमरे से सब दिखता है। घर के ऊपरी मंजिल में दो किराएदार एक कमरे में और अफसाना परिवार के साथ दूसरे कमरे में रहती थी। गर्मी की वजह से कमरा बेहद गर्म था और 48 घंटे से अधिक वक्त से पड़ी लाश की बदबू पूरे मोहल्ले में फैल गई थी। लोग इस बदबू को मरे जानवर की समझ कर नकारते रहे। 

शराब और झगड़ों ने सौरभ को कहीं टिकने नहीं दिया
छोटे भाई कुलदीप ने बताया कि सौरभ शराब का लती था और पांच माह पहले तक परिवार के साथ रुद्रपुर में ही रहता था, लेकिन शराब पीने के बाद पत्नी से मारपीट की वजह से वह कहीं टिक नहीं पाया। हर जगह मकान मालिक ने सिर्फ इसी वजह से कमरा खाली करा दिया। माना जा रहा है कि अबकी कमरा न खाली करना पड़े, इसीलिए पत्नी और बच्चों को हल्द्वानी में कमरा दिलाने के बाद सौरभ खुद आगरा चला गया, लेकिन 10-15 दिन में जब भी लौटता था पति-पत्नी में जमकर मारपीट होती थी।