लखनऊ: भारतीय संविधान के जनक ही नहीं देश के फादर ऑफ इकोनॉमिक्स भी थे डॉ.भीमराव आंबेडकर, अंग्रेजों की चाल को लाये थे सामने 

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। यह बात उस समय की है जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। तब डॉ.भीमराव आंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी की। उन्होंने दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एण्ड इट्स सोल्यूशन विषय पर शोध किया और यह बताया कि ब्रिटिश मुद्रा पौंड स्टर्लिंग की वैल्यू अधिक है, जबकि भारतीय सोने की कीमत काफी कम। यानी की भारतीय सोना काफी सस्ते में लिया जा रहा था। इससे देश के लोगों का नुकसान हो रहा था। यह जानकारी रिजर्व बैंक के रीजनल डायरेक्टर डॉ. बालू केंचप्पा ने रविवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर केजीएमयू में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि पौंड स्टर्लिंग की कीमत अधिक होने से भारतीय व्यापारियो और उद्योग से जुड़े लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रह था। इसके पीछे की वजह पौंड स्टर्लिंग और गोल्ड का एक्सचेंज रेट में बहुत अंतर  होना था। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया था कि एक्सचेंज रेट कैसा होना चाहिए। इसलिए डॉ.भीमराव आंबेडकर को फॉदर ऑफ इकोनॉमिक्स भी कहा जाता है।

कार्यक्रम के दौरान कार्यवाहक कुलपति प्रो.अमिता जैन ने कहा कि डॉ.भीमराव आंबेडकर विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उनके जीवन से हमें सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अपने जिम्मेदारियों को लेकर जागरुक रहेंगे, तभी जो पीछे रह गये हैं, उनको आगे बढ़ाने में मदद कर सकेंगे। यह भी हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि जिससे शिक्षा का अधिकार छीन लिया गया, समझो उससे सबकुछ छीन लिया गया।

पद्मश्री डॉ.एसएन.कुरील ने बताया कि जिस तहर हमारे पांच अधिकार है, ठीक उसी तरह हमारे 11 कर्तव्य भी हैं। अधिकारों से ज्यादा हमें अपने कर्तव्यों की जानकारी होनी चाहिए। वहीं प्रो.एसपी, जैसवार ने कहा कि महिलाओं के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। समाजिक व्यवस्था सुधारने के लिए महिलाओं को शिक्षा के साथ सामाजिक भागीदारी में भी आगे रहना चाहिए।

इस अवसर पर डीन डेंटल प्रो.आरके.पाटिल, प्रो.जीके.सिंह,डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो.आरएस.कुशवाहा,डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. रिद्धी जयसवाल, प्रो.पूरनचंद, प्रो.विजय कुमार, प्रदीप गंगवार समेत भारी तादात में डॉक्टर, कर्मचारी, स्टूडेंट उपस्थित रहे।

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