Lok Sabha Election 2024: 13 सीटों पर 13 मई की वोटिंग में कमल खिलाने की चुनौती...अवध, सेंट्रल यूपी और तराई क्षेत्र की सीटों पर मुख्य संघर्ष, पढ़ें- खास रिपोर्ट

अवध, सेंट्रल यूपी और तराई क्षेत्र की सीटों पर मुख्य संघर्ष भाजपा और सपा-कांग्रेस के बीच

Lok Sabha Election 2024: 13 सीटों पर 13 मई की वोटिंग में कमल खिलाने की चुनौती...अवध, सेंट्रल यूपी और तराई क्षेत्र की सीटों पर मुख्य संघर्ष, पढ़ें- खास रिपोर्ट

चुनाव डेस्क, (दिग्जिवय सिंह)। प्रदेश में चौथे चरण में 13 लोकसभा सीटों पर  13 मई को मतदान होगा। राज्य के अवध, सेंट्रल यूपी और तराई क्षेत्र में आने वाली इन सीटों पर मुख्य संघर्ष भाजपा और सपा-कांग्रेस के बीच ही नजर आ रहा है। लेकिन बसपा ने प्रत्याशी चयन में जातीय समीकरण की चतुराई से लगभग आधा दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।

इस बार मिशन-80 का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा के सामने पिछले लोकसभा चुनाव की तरह सभी 13 सीटों पर  कमल खिलाने की चुनौती है, जबकि कन्नौज में सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने साख का सवाल है। 

भाजपा ने इन 13 में 11 सीटों पर अपने मौजूदा सांसदों को ही चुनाव मैदान में उतार रखा है। केवल कानपुर और बहराइच में प्रत्याशी बदले हैं। 
इसके पीछे दरअसल एक कारण और है . बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में इन 13 सीटों में से करीब 10 सीटों पर 12 से 32 प्रतिशत अधिकत मतों से चुनाव जीता था।

बीजेपी के लिए इस बार संतोष की बात ये है कि उसके साथ इस बार रालोद भी है जो पिछली बार समाजवादी पार्टी के साथ थी.सपा और बसपा के भी अलग-अलग चुनाव लड़ने का फायदा बीजेपी को मिलने वाला है. पिछली बार कन्रौज, मिश्रिख और इटावा में ही सपा-बसपा बीजेपी को टक्कर दे सकीं थीं। उसमें भी कांटे की टक्कर तो केवल कन्नौज में हुआ था.

कानपुर में भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर

ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाने वाली कानपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी की जगह रमेश अवस्थी पर दांव लगा रखा है। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस से आलोक मिश्रा उनका मुकाबला कर रहे हैं। बसपा से कुलदीप भदौरिया हैं। लेकिन जानकार यहां पहले की ही तरह कांग्रेस और भाजपा में सीधा संघर्ष मान रहे हैं। 

अकबरपुर में भोले और पाल में सीधा मुकाबला

कानपुर देहात के हिस्से वाली अकबरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले जीत की हैट्रिक लगाने को तैयार हैं। यहां सपा से पूर्व सांसद राजराम पाल उन्हें चुनौती दे रहे हैं। मुकाबले में बसपा के राजेश द्विवेदी भी हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इस सीट पर भोले और राजाराम में सीधी टक्कर होने जा रही है। 

मिश्रिख में जीजा-सलहज के बीच बसपा की चुनौती

कानपुर, हरदोई और सीतापुर जिले में फैली मिश्रिख लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां भाजपा से सांसद डॉ. अशोक रावत फिर मैदान में हैं। इंडिया गठबंधन में सपा से संगीता राजवंशी उन्हें चुनौती दे रही हैं, जो रिश्ते में सांसद रावत की सलहज लगती हैं। बसपा से पूर्व अधिकारी डॉ. बीआर अहिरवार मैदान में हैं, जो भाजपा-सपा के बीच सिमटते मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। 

उन्नाव में साक्षी महाराज की लगेगी जीत की हैट्रिक?

उन्नाव लोकसभा सीट पर भाजपा सासंद साक्षी महाराज जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यहां सपा से चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस की पूर्व सासंद अन्नू टंडन उन्हें कई इलाकों में कड़ी चुनौती देती नजर आ रही हैं। बसपा के अशोक पांडेय सजातीय और कॉडर वोट पर मजबूत पकड़ बनाने में जुटे हैं। 

इटावा का गढ़ फतेह करने की फिराक में सपा 

इटावा लोकसभा सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद राम शंकर कठेरिया पर भरोसा जताते हुए जीत की हैट्रिक लगाने का ताना-बाना बुना है। सपा ने यादव लैंड से जुड़ी इस सीट पर जितेंद्र दोहरे को उतारा है। बसपा ने पूर्व सांसद सारिका सिंह पर दांव लगाया है। भाजपा पिछला चुनाव करीब 65 हजार मतों से जीती थी। इस बार फिर यहां भाजपा-सपा में सीधी लड़ाई नजर आ रही है।

बहराइच में भाजपा और सपा की मोर्चेबंदी

बहराइच लोकसभा सीट पर भाजपा ने तीसरी जीत के लिए इस बार भी नए चेहरे मौजूदा सांसद अक्षयवरलाल गोंड के बेटे अरविंद गोंड को मैदान में उतारा है। सपा ने पूर्व विधायक रमेश गौतम को उतारकर चुनौती दी है। बसपा से बृजेश कुमार सोनकर उम्मीदवार हैं। पिछली बार भाजपा यहां सपा से करीब सवा लाख मतों से जीती थी। इस बार भी दोनों दलों में मुकाबला माना जा रहा है। 

सीतापुर में त्रिकोणीय संघर्ष की तस्वीर

सीतापुर लोकसभा सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद राजेश वर्मा फिर मैदान में हैं। वह यहां से चार बार सांसद रह चुके हैं। इस बार हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने बसपा के नकुल दुबे पर एक लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। यहां इंडिया गठबंधन से कांग्रेस ने राकेश राठौड़ को उनके मुकाबले में उतारा है। 2019 में कांग्रेस की कैसर जहान ने लगभग एक लाख वोट पाए थे। बसपा ने भाजपा छोड़कर आए महेंद्र यादव को मैदान में उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया है। 

खीरी में टेनी की तीसरी जीत रोकने के प्रयास

किसान आंदोलन के दौरान चर्चा में आयी खीरी लोकसभा सीट से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी तीसरी बार जीत हासिल करना चाहते हैं। सपा ने यहां जातीय समीकरण देखकर कुर्मी समाज के उत्कर्ष वर्मा को उतारा है।  लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी और अन्य ओबीसी के वोटर छह लाख से ज्यादा हैं। बसपा ने सिख समुदाय से आने वाले युवा अंशय कालरा को उम्मीदवार बनाकर तिकुनिया कांड से नाराज सिखों और दलित बिरादरी के करीब ढाई लाख वोट साधने का दांव खेला है।  

धौरहरा में जातीय समीकरणों की लड़ाई 

धौरहरा सीट से भाजपा की मौजूदा सांसद रेखा वर्मा फिर मैदान में हैं। पिछले 10 साल से सांसद रेखा वर्मा ने बसपा के अरशद इलियास को डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। कांग्रेस के जितिन प्रसाद 1.63 लाख वोट पाकर तीसरे नंबर थे। इस बार सपा ने यहां आनंद भदौरिया पर दांव लगाया है, तो बसपा ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए श्याम किशोर अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। यहां ओबीसी और सवर्ण वोट निर्णायक हैं। 

हरदोई में फिर 2019 वाला मुकाबला 

हरदोई लोकसभा सीट पर भी पिछले दो चुनाव से भाजपा का कब्जा है। इस बार पार्टी ने मौजूदा सांसद जयप्रकाश रावत फिर कमल खिलाने उतरे हैं। सपा ने भी दोबारा पूर्व सांसद उषा वर्मा को उतार कर मुकाबला कड़ा कर दिया है। बसपा ने यहां भीमराव अंबेडकर को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार जयप्रकाश ने सपा की उषा वर्मा को 1.30 लाख मतों से हरा दिया था। हरदोई सीट पर आज तक बसपा का खाता नहीं खुला है। 

फर्रुखाबाद में सपा दे पाएगी भाजपा को चुनौती

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर साल 2014 से भाजपा का कब्जा है। सांसद मुकेश राजपूत इस बार जीत की हैट्रिक के लिए प्रयासरत हैं। इंडिया गठबंधन की तरफ से सपा ने डॉ. नवल किशोर शाक्य को इतार कर जातीय समीकरण में उन्हें उलझाने का प्रयास किया है। नवल किशोर पहले बसपा में थे और पेशे से कैंसर सर्जन हैं। बसपा के क्रांति पांडे प्यवसायी हैं और भाजपा के लिए यहां परेशानी बढ़ाते नजर आ रहे हैं। 

कन्नौज में बदला लेने उतरे हैं अखिलेश

कन्नौज लोकसभा सीट से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने का फैसला लेकर माहौल बदल दिया है।  भाजपा से यहां उनके मुकाबले में मौजूदा सांसद सुब्रत मैदान में हैं। यहां कहा जा रहा है कि सपा के गढ़ में 2019 में हुई पत्नी डिपंल यादव की हार का बदला लेने के लिए अखिलेश आए हैं। डिंपल भाजपा के सुब्रत पाठक से 12 हजार वोटों से चुनाव हार गई थीं। कन्नौज में 1998 से 2014 तक यादव परिवार का सदस्य ही चुनाव जीतता रहा है। बसपा ने कानपुर निवासी इमरान बिन जफर को उम्मीदवार बनाकर सपा के मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की है। 

शाहजहांपुर में बसपा ने मुकाबला बनाया तिकोना 

शाहजहांपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद अरुण कुमार सागर को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में अरुण कुमार ने ढाई लाखों से ज्यादा वोटों से बसपा प्रत्याशी पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। इस बार इंडिया गठबंधन से सपा ने यहां ज्योत्सना गोंड को मैदान में उतारा है। पार्टी ने पहले राजेश कश्यप को टिकट दिया था। बसपा ने दोदराम वर्मा को उम्मीदवार बनाया है।

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