बदले हालात में मोदी का सत्ता में आना सुधारों को चुनौतीपूर्ण बनाएगा: अर्थशास्त्री
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बदले हुए सियासी हालात में सत्ता में लौटना महत्वपूर्ण सुधारों के क्रियान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना दे्गा। अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को यह राय जताई। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, लोकसभा चुनावों की मतगणना के नतीजों से पता चलता है कि मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) लगभग 290 सीटें जीतने जा रहा है, लेकिन भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से पीछे रह गई है।
अर्थशास्त्रियों ने इसे एक ''नकारात्मक आश्चर्य'' बताया। घरेलू ब्रोकरेज फर्म एम्के ने एक टिप्पणी में कहा, ''इस बात की संभावना है कि नरेन्द्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में वापस आएंगे। हालांकि उन्हें शासन में बदली हुई परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।'' टिप्पणी में आगे कहा गया कि इस तरह की स्थिति में आर्थिक नीति की व्यापक दिशा में बदलाव की संभावना नहीं है।
स्विस ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के विश्लेषकों ने उम्मीद जताई कि नई सरकार विनिर्माण, नियामकीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने, श्रम सुधारों को लागू करने, कौशल विकास और रोजगार के अवसर पैदा करने सहित आपूर्ति-पक्ष के सुधारों को आगे बढ़ाने का काम करेगी। ब्रोकरेज फर्म ने कहा, ''हालांकि हमें लगता है कि भूमि सुधार, बुनियादी ढांचे पर खर्च को बढ़ावा देना, विनिवेश, कृषि विधेयक, समान नागरिक संहिता और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने जैसे कठोर सुधारों को लागू करना इस सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।''
आरबीएल बैंक की अचला जेठमलानी ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन को मामूली अंतर से मिली जीत जरूरी सुधारों को तेजी से आगे बढ़ा सकती है, जिससे भारत की वृद्धि गाथा को समर्थन मिलेगा। एम्के ने कहा कि सरकार के लिए तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों पर निर्भरता होने से उनके हिसाब से नीतियों को समायोजित करना होगा।
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