सपा कांग्रेस के इन रणनीतिकारों ने लिखी तनुज पुनिया की जीत की पटकथा, भाजपा के धुरंधर भी नहीं निकाल पाए काट

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Published By Deepak Mishra
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बाराबंकी, अमृत विचार। भाजपा का अश्वमेध का घोड़ा दस साल बाद लोकसभा बाराबंकी में ठहर गया। बीते करीब एक दशक से जीत के स्वाद से दूर कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया ने सबसे बड़ी विजय का रिकार्ड अपने नाम किया। उन्होंने भाजपा की राजरानी रावत को 2,15,704 मतों से हराया। भाजपा की सरकार होने के साथ जिले में एक राज्यमंत्री, दो एमएलसी और दो विधायकों की सेना भी अपना प्रत्याशी जिता नहीं सकी।

क्योंकि सपा और कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों ने इंडिया गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया की जीत को लेकर ऐसी पटकथा लिखी, जिसकी काट भाजपा के धुरंधर निकाल ही नहीं पाए। दूसरे दलों में बड़े पैमाने पर की गई तोड़फोड़ भी राजरानी को लक्ष्य के आसपास तक नहीं पहुंचा सकी। गलत प्रत्याशी चयन और पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी भाजपा को भारी पड़ गई।

यहां की जनता ने भी मोदी मौजिक को दरकिनार कर कांग्रेस की गारंटी पर भरोसा जताया। जिसका नतीजा रहा कि बीते एक दशक से जीत के जश्न में डूबी भाजपा को यहां करारी हार झेलने पड़ गई। सपा और कांग्रेस के रणनीतिकारों की अगर बात करें तो पूर्व सांसद डॉ पीएल पुनिया, पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप व राकेश वर्मा, विधायक सुरेश यादव, फरीद महफूज किदवाई व गौरव रावत के साथ चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल हुई पूर्व विधायक मीता गौतम और सपा व कांग्रेस के जिलाध्यक्षों ने पूरी जान लगाकर मेहनत की। जिले की पांचों विधानसभाओं का शायद ही कोई कोना बचा हो, जहां की खाक सपा व कांग्रेस के इन नेताओं ने न छानी हो।

सपा और कांग्रेस नेताओं की इस जीतोड़ मेहनत के आगे भाजपा की वोट साधने की तमाम रणनीति फेल होती दिखीं। भाजपा के जनप्रतिनिधि अपनी ही विधानसभा में राजरानी को जीत की दहलीज तक खींच कर नहीं ला सके। माना जा रहा है कि कांग्रेस के न्याय पत्र में शामिल घोषणाओं ने असर दिखाया और इंडिया गठबंधन में सपा को साथ लेकर रण में उतरे तनुज पुनिया को अप्रत्याशित सफलता मिली। वहीं जिले में खत्म हो रही कांग्रेस को संजीवनी भी मिल गई।

डॉ. पीएल पुनिया, पूर्व सांसद

तनुज पुनिया के सिर जीत का ताज सजाने में जिसने चाणक्य की भूमिका निभाई, वह खुद उनके पिता व पूर्व सांसद डॉ पीएल पुनिया रहे। राहुल, प्रियंंका और अखिलेश यादव को मनाकर तनुज को टिकट दिलाने से लेकर जिले के सभी सपा व कांग्रेस नेताओं को साधने में डॉ. पीएल पुनिया ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। नाराजगी होने के बाद भी उन्होंने सिर झुकाकर तमाम नेताओं का प्यार और हर वर्ग व जाति के मतदाताओं का आशीर्वाद अपने पुत्र के लिये बटोरा। लगातार मिली इतनी हारों के बाद भी न तो वह खुद हताश हुए और न ही बेटे तनुज को संयम खोने दिया। जिसका असर हुआ और लगातार मिल रही शिकस्त के बाद तनुज पुनिया अपने राजनीतिक जीवन का पांचवां चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीते और आखिरकार  पीएल पुनिया अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने में कामयाब हो गये।

अरविंद सिंह गोप, राष्ट्रीय सचिव, सपा

पूर्व कैबिनेट मंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद सिंह गोप ने भी इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया के लिये पूरी ताकत झोंक दी। सभी ठाकुर नेताओं को एक साथ लाने से लेकर जिले के क्षत्रिय मतदाताओं का वोट तनुज पुनिया को दिलाने तक में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। जिले की सभी विधानसभाओं में उन्होंने चौपालें लगाईं और तनुज को छोटा भाई बताकर उनके लिये वोट मांगा। इस काम में उनके सभी खास सिपहसलार भी गोप के कंधे से कंधा मिलाकर चले। गोप ने बाराबंकी लोकसभा की सभी पांच विधानसभाओं में तो तनुज के लिये मेहनत की ही। साथ ही उन्होंने दरियाबाद विधानसभा में भी अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल किया और फैजाबाद से सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के समर्थन में वोटों का हुजूम बटोर डाला।

सुरेश यादव, सपा विधायक

जिले की सदर विधानसभा से लतागात तीन बार के समाजवादी पार्टी विधायक सुरेश यादव ने तनुज पुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर समर्थन जुटाया। गांव की एक एक गली में जाकर सुरेश यादव ने डोर टू डोर वोट मांगा। यादव के साथ सुरेश यादव ने मुस्लिम मतदाताओं को भी तनुज के साथ लाकर खड़ा कर दिया। पिछले तीन विधानसभा चुनावों से भाजपा सुरेश यादव की काट नहीं ढूंढ़ पा रही। ऐसे में इस लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सुरेश यादव ने भाजपा को करारी शिकस्त दे दी। सदर विधानसभा में तनुज पुनिया को कुल 1 लाख 55 हजार 979 वोट मिले।

फरीद महफूज किदवाई, सपा विधायक

पूर्व मंत्री और वर्तमान में रामनगर विधानसभा सीट से सपा विधायक फरीद महफूज किदवाई ने अपने क्षेत्र में इंडिया गठबंधन के पक्ष में अच्छा माहौल तैयार किया। सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में सामंजस्य बिठाकर उन्होंने अखिलेश यादव के विश्वास को एक बार फिर जीता। जिसका नतीजा रहा कि रामनगर विधानसभा से भी तनुज पुनिया ने एक बड़ी बढ़त के साथ चुनाव जीता।

राकेश वर्मा, पूर्व मंत्री

पूर्व सांसद डॉ. पीएल पुनिया के द्वारा पिता स्व. बेनी प्रसाद वर्मा के विरोध में दिये गए तमाम बयानों के वायरल होने के बाद भी पूर्व मंत्री राकेश वर्मा ने कुर्मी मतदाताओं को तनुज के समर्थन में इकट्ठा कर दिया। अखिलेश यादव के सामने ही उन्होंने भरे मंच से जिले के कुर्मी नेताओं और मतदाताओं को साफ संदेश दिया कि किसी के बहकावे में नहीं आना है। उसका असर भी दिखा और तनुज को कुर्मी वोटों के साथ-साथ राकेश वर्मा के प्रभाव वाली कुर्सी विधासभा से शानदर जीत भी मिली।

गौरव रावत, सपा विधायक

जिले की पांचों विधानसभाओं की अगर बात करें तो तनुज पुनिया को जैदपुर से सबसे ज्यादा 1 लाख 61 हजार 986 वोट मिले। इस सीट से सपा विधायक गौरव रावते ने नतीजों से पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि तनुज पुनिया को सबसे ज्यादा वोट जैदपुर से ही मिलेंगे। एक विधानसभा चुनाव और एक विधानसभा उपचुनाव में विरोधी के रूप में चुनाव लड़ने वाले तनुज पुनिया की जीत को लेकर सपा विधायक गौरव रावत ने जबरदस्त मेहनत की।

मीता गौतम, पूर्व विधायक

लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुईं मीता गौतम ने दलित वोटरों को इंडिया गठबंधन के पक्ष में मोड़ा। बहुजन समाज पार्टी में 30 साल के अनुभव का इस्तेमाल उन्होंने तनुज को जीत दिलाने के लिये बखूबी किया। पूर्व सांसद डॉ. पीएल पुनिया खुद उन्हें अच्छा चुनावी रणनीतिकार मानते हैं। ऐसे में सही समय पर उनका कांग्रेस में आना तनुज के लिये फायदेमंद साबित हो गया।

मो. मोहसिन व हाफिज अयाज

कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो. मोहसिन और समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष हाफिज अयाज अहमद ने अपनी अपनी पार्टी के बूथ स्तर तक के नेताओं को एक साथ खड़ा करने में काफी अहम भूमिका निभाई। एक ओर जहां मो. मोहसिन ने जिले में कांग्रेस के निष्क्रिय हो चुके संगठन में जान फूंकी तो वहीं सपा जिलाध्यक्ष हाफिज अयाज ने भी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को तनुज का कंधा मजबूत करने के लिये लगा दिया।

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