अयोध्या: कर्बला के शहीदों की याद में शुरू हुआ मोहर्रम, अजाखाने सजे

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Published By Deepak Mishra
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दो माह आठ दिनों तक मनाया जाता है मोहर्रम, मजलिसों का दौर शुरू 

अयोध्या, अमृत विचार। कर्बला के शहीदों की याद में दो माह आठ दिनों तक शोक के रूप में मनाया जाने वाला मोहर्रम सोमवार से शुरू हो गया है। नगर के शिया बाहुल्य इलाकों में मोहर्रम को लेकर मजलिस और मातम का सिलसिला भी शुरू हो गया है। शिया समुदाय के घरों में अजाखाने सज गए हैं और लोगों ने कर्बला के शहीदों की याद में मजलिसों का एहतमाम शुरू कर दिया है। 

नगर के राठहवेली, हैदरगंज, खवासपुरा, वजीरगंज समेत ग्रामीण क्षेत्रों में मोहर्रम को लेकर गमे हुसैन में लोग डूब गए हैं। वहीं मोहर्रम का चांद रविवार को नजर आते ही ताजियादार ताजिया बनाने में जुट गए हैं। इस्लाम धर्म के मुताबिक नए साल की शुरुआत मोहर्रम माह से होती है। इसी महीने में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम समाज के लोग हर साल मोहर्रम का जुलूस निकालते हैं। मोहर्रम पर मुसलमान पैगंबर मोहम्मद के नवासे की शहादत का गम मनाते हैं। 

मौलाना जफर अब्बास कुम्मी ने बताया कि मोहर्रम पर ताजिया के जुलूस को लेकर तैयारियां हो रही हैं। मुसलमान अलग-अलग इलाकों में ताजियों का निर्माण करने में जुटे हैं। कहीं थर्माकोल तो कहीं रंगीन पेपर पर सजावटी सामान से नक्काशीनुमा डिजाइन बनाई जा रही है। मो. शकील, शौव्वाल अहमद व नवाजिस अली, मो. आबिद, फिरोज अहमद आदि ताजियों का निर्माण कर रहे हैं।

इसलिए कहते हैं गम का महीना

मौलाना जफर अब्बास कुम्मी बताते हैं कि सन 61 हिजरी (680 ईस्वी) में इराक के कर्बला में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों के साथ शहीद कर दिया गया था। मोहर्रम में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत पर गम मनाते हैं, गिरिया (रोना) करते हैं।

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