कासगंज: सूखी है मझधार...दाएं बाएं दो हिस्सों में बंटी पतित पावनी की धार
गजेंद्र चौहान, कासगंज। मां का आंचल यदि उसके ही लाडले दुखाने लगें तो निश्चित ही मन को कहीं न कहीं दर्द होगा। इसीलिए वह किसी न किसी संकेत के रूप में अपने लाडलों को यह बताने का प्रयास करती है कि मां के आंगन और आंचल को परेशान न होने दें, लेकिन तब भी आज का मानव उनके संकेत को समझने की कोशिश नहीं कर रहा है।
कंक्रीट का जंगल बसाने के चक्कर में प्रकृति को खोता जा रहा है। कंक्रीट के जंगल का ही नतीजा रहा है कि पतित पावनी मां गंगा के आंगन की धार दो हिस्सों में दाएं बाएं बंट गई और मझधार सूख गई है। बदायूं और कासगंज जिले के हिस्सों में पहुंची पतित पावनी की धार तबाही मचाने को आतुर दिखाई दे रही है। यदि अभी भी जागरूक न हुए तो आने वाले समय में मां का और भी अधिक रौद्र रूप देखने को मिलेगा।
जिम्मेदारों की अनदेखी और बेरुखी ने पतित पावनी के आंगन की धार दो हिस्सों में बांटकर तटवर्ती क्षेत्रों की मुसीबत बढ़ा दी है। कासगंज और बदायूं जिले को जोड़ने वाले अल्लीपुर बरबारा पुल पर मानकों की अनदेखी सामने आ रही है। यहां पहले तो अप्रोच रोड के लिए गंगा नदी का दायरा कम कर दिया और फिर रही कमी दूर कर दी सेतु निगम ने। पुल के बीचों बीच पत्थर की एक स्लैब बना दी, जिससे दायरा और कम हो गया। दो धाराओं में बंटती हुई गंगा के पानी का प्रवाह कासगंज जिले की सीमा काफी तेज होने लगा है। हालांकि, पिछले साल की अपेक्षा इस बार बदायूं जिले में भी गंगा रौद्र रूप में दिख रही है।
बता दें कि पुल निर्माण के दौरान सिंचाई विभाग ने आपत्ति जताई है, लेकिन लोक निर्माण विभाग एवं पीडब्लूडी इस पुल को मानक के अनुरुप बता रहे हैं। गंगा नदी में जहां धार बंटकर डायवर्ट होनी चाहिए वहां तो बंटी हुई धार सिमट रही है और जहां धार एक साथ रहनी चाहिए वहां लोक निर्माण विभाग एवं सेतु निगम की मनमानी ने धार को दो हिस्सों बांटकर पानी का प्रवाह कम कर दिया।
इतना नहीं गंगा का दायरा भी काफी हद तक निर्माण के लिए समेट लिया, जिससे कासगंज- बदायूं को जोड़ने वाले अल्लीपुर बरबारा पुल पर पश्चिमी हिस्से में जब पानी का दबाव बढ़ेगा तो तेजी के साथ पानी का प्रवाह पूर्वी हिस्से में आ जाएगा। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि पुल पर गंगा नदी में जो पत्थर की स्लैब मजबूती के नाम पर बनाई गई है उसका रुख इस कदर है कि पानी कासगंज की सीमा में अधिक तेज बह रहा है। बदायूं की ओर पानी की रफ्तार कम है, लेकिन उफान तेज है। आने वाले समय में जब जलस्तर ओर बढ़ेगा तब तेजी से बहता पानी कासगंज क्षेत्र के तटवर्ती गांवों की मुश्किलें बढ़ाएगा।
यह सिर्फ हवाहवाई नहीं है बल्कि सिंचाई विभाग ने इसकी पुष्टि की है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने तकनीकी जांच में पाया है कि इस पुल का निर्माण गंगा पुल में पानी के बहाव की दृष्टि से ठीक नहीं है। सिंचाई विभगा ने जब इसकी कलई खोली है तो लोक निर्माण विभाग और सेतु निगम एक दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं। हालांकि, सेतु निगम और लोक निर्माण विभाग एक दूसरे का बचाव भी कर रहे हैं और पुल को मानक के अनुरूप बता रहे हैं।
अल्लीपुर बरबारा पर जो पुल बनवाया जा गया है उसका निर्माण सेतु निगम ने कराया है। पहले तो लोक निर्माण विभाग ने अप्रोच रोड के लिए गंगा नदी का काफी दायरा कम किया और फिर सेतु निगम ने पुल के बीच में मजबूती के नाम पर स्लैब लगवा दी। जिससे दायर और कम हो गया। -संजय शर्मा, सहायक अभियंता, सिंचाई विभाग
सेतु निगम ने सिर्फ पुल का निर्माण कराया है। एप्रोच रोड कार्य पीडब्लूडी की ओर से कराया है। उन्होंने रुड़की के इंजीनियर की टीम से इस काम मे सहयोग लिया है। रुड़की के इंजीनियर की टीम ने मानकों को रखने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस संस्था की रिपोर्ट सर्वोपरि है। एप्रोच रोड के लिए कुछ हद तक नदी का दायरा कम करना होता है। -वीरेंद्र सिंह, डीपीएम, सेतु निगम
साहब को कुछ पता नहीं तो बोलने से भी डरते हैं
सेतु निगम और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने तो अपना पक्ष मजबूती के साथ रख दिया, लेकिन लोक निर्माण विभाग अपना पक्ष रखने से बचता रहा है। हर साल लोक निर्माण विभाग इस मामले को लेकर अपना पल्ला झाड़ता रहा है। इस बार तो पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता ने फोन भी नहीं उठाया। कहीं न कहीं यह सवाल उठ रहा है कि शायद पीडब्ल्यूडी ने एप्रोच रोड बनाने में कोई न कोई गलती की है।
आंकड़े की नजर से:-
-1600 मीटर लंबा है अल्लीपुर बरबारा का यह पुल।
-174.97 करोड़ रूपये की लागत से हुआ है निर्माण।
