Exclusive: फर्जीवाड़ा: लेदर क्लस्टर के लिए बेच दी ग्राम समाज की जमीन, कंपनी को हुआ भारी नुकसान, पहले ही लंबित प्रोजेक्ट फिर से अटका

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, शिव प्रकाश मिश्र। मेगा लेदर क्लस्टर के लिए खरीदी गई भूमि के बैनामे में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। मेगा लेदर क्लस्टर यूपी लिमिटेड के निदेशकों को सपई गांव में 15 किसानों ने ग्राम समाज के साथ राजस्व अभिलेखों में राजस्व विभाग के नाम पर दर्ज ऊसर, बंजर और जलौनी लकड़ी के लिए आरक्षित भूमि तक का बैनामा कर दिया। यह भूमि इन किसानों को पूर्व में पट्टे पर दी गई थी, बाद में आवंटन रद कर दिया गया था। अब इन किसानों से खरीदी गई 9.9180 हेक्टेयर भूमि कंपनी को नहीं मिलेगी, बैनामा रद हो जाएगा। इससे लेटर क्लस्टर की स्थापना का काम एक बार फिर बाधित हो गया है। 

मेगा लेदर क्लस्टर यूपी लिमिटेड को राजस्व विभाग से ग्राम समाज सुरक्षित श्रेणी की 35 हेक्टेयर भूमि कुरौना बहादुर नगर में मिलनी है। इस भूमि के बदले कंपनी को इतनी ही जमीन देनी है। इसके लिए सपई समेत तीन गांवों में कंपनी 35 हेक्टेयर भूमि का बैनामा करा रही है, ताकि सुरक्षित श्रेणी की भूमि के बदले खरीदी गई भूमि राजस्व विभाग को दी जा सके। 

करौना बहादुर नग, मगरासा और सेन पूरब पारा में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना होनी है। कंपनी ने नाम ग्राम समाज की 42.02 हेक्टेयर भूमि आठ साल पहले राजस्व विभाग से ली थी। इस भूमि का पुनर्ग्रहण कराया गया था। 22 हेक्टेयर भूमि कंपनी ने किसानों से खरीद ली थी। 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की है। 

इसके बदले कंपनी ने सपई समेत तीन गांवों में भूमि खरीद कर प्रशासन को देने का निर्णय लिया था। इस भूमि का बैनामा होने के बाद कंपनी के निदेशक फंस गए हैं। अमृत विचार के हाथ लगे अभिलेखों पर नजर डालें तो कंपनी के निदेशक जाजमऊ डिफेंस कॉलोनी निवासी अशरफ रिजवान ने 15 उन किसानों से 9.9180 हेक्टेयर भूमि का बैनामा करा लिया जो भूमि उनके नाम पर थी ही नहीं। राजस्व अभिलेखों में ऊसर, बंजर, जलौनी लकड़ी के नाम से सुरक्षित इस भूमि का कंपनी के नाम दाखिल खारिज भी नहीं हो सकता है।

किसानों को गलत हुआ था भूमि का पट्टा

ग्राम समाज की ओर से जलौनी लकड़ी के लिए सुरक्षित ऊसर, बंजर भूमि का पट्टा इन किसानों को गलत तरीके से हो गया था। इसी कारण बाद में पट्टे का आवंटन रद कर दिया गया था। राजस्व अभिलेखों से किसानों के नाम काटकर पुन: भूमि ग्राम समाज व राजस्व विभाग के नाम पर कर दी गई थी। ऐसे में किसानों को भूमि का बैनामा करने का अधिकार नहीं था, फिर भी उन्होंने भूमि बेचने का फर्जीवाड़ा किया। 

फंस गया प्रोजेक्ट

लेदर क्लस्टर स्थापना की कवायद 2012 में शुरू हुई थी। तब स्पेशल परपज व्हीकल के तहत मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड का गठन उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से कराया गया था। प्राधिकरण तब निगम के रूप में काम कर रहा था और प्रबंधन ने ही भूमि का पुनर्ग्रहण भी कराया था। तब कंपनी ने सुरक्षित श्रेणी की भूमि के बदले साढ़ गांव में भूमि खरीद ली थी, लेकिन साढ़ अब नर्वल तहसील में है, जबकि लेदर क्लस्टर की स्थापना सदर तहसील के करौना बहादुर गांव में हो रही है। यही वजह है कि भूमि की अदला- बदली नहीं हो पाई थी। प्रोजेक्ट लटका पड़ा था। अब सपई समेत तीन गांवों में भूमि का बैनामा होने पर बड़ी गड़बड़ी सामने आयी है।

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