बाराबंकी: पैथोलॉजी पर दो मरीजों को गलत रिपोर्ट देने का आरोप, पीड़ितों ने CMO से लगाई कार्रवाई की गुहार
किट निकलवा कर जांच कराने पर सामने आया फर्जीवाड़ा
हैदरगढ़/बाराबंकी, अमृत विचार। त्रिवेदीगंज स्थित एक पैथोलॉजी पर बुखार से पीड़ित दो मरीजों की गलत जांच रिपोर्ट जारी करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले में पीड़ित ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शिकायती पत्र भेजकर एवं जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत कर उक्त पैथोलॉजी की जांच करवा कर कार्रवाई किए जाने की गुहार लगाई है।
बता दें कि पिछले लगभग एक सप्ताह से बुखार से पीड़ित थाना लोनीकटरा के सोनिकपुर गांव निवासी मोहम्मद शुएब पुत्र रईस अली 23 वर्ष एवं कोतवाली हैदरगढ़ के किरसिया बनकोट निवासी शशांक सिंह शनिवार की दोपहर 3 बजे के बाद उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र त्रिवेदीगंज पहुंचे थे। जहां पर मौजूद डॉक्टर शशिकांत चौधरी द्वारा बुखार के लक्षणों को देखते हुए दोनों रोगियों को सीबीसी, वीडाल व मलेरिया एंटीजन टेस्ट कराने की सलाह दी गई। पिछले कई दिनों से इलाज के बाद भी स्वास्थ्य में सुधार न होने से परेशान दोनों रोगियों ने तत्काल उपचार के दृष्टिकोण से बाहर से जांच कराने का फैसला किया, क्योंकि पिछले कई दिनों से उपचार कराये जाने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा था।
बुखार से पीड़ित दोनों युवकों ने बताया कि वह त्रिवेदीगंज में ही सरस्वती जयंती इंटर कॉलेज के सामने स्थित आरआर पैथोलॉजी पहुंचे और जांच कराई। लगभग आधे घंटे बाद पैथोलॉजी संचालक द्वारा रिपोर्ट दे दी गई। जांच रिपोर्ट के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर शशिकांत के पास एक बार फिर दोनों रोगी पहुंचे और रिपोर्ट दिखाई। महज आधे घंटे के अंदर आई जांच रिपोर्ट देखकर डॉक्टर शशिकांत का माथा ठनका और उन्होंने किसी तरह पैथोलॉजी से किट निकलवा कर वीडाल की जांच कराई तो परिणाम एकदम उलट निकले। जहां पैथोलॉजी द्वारा दोनों रोगियों की विडाल जांच पॉजिटिव दिखाई गई थी। वहीं क्रॉस चेक में यह रिपोर्ट निगेटिव आई है। जब इस संबंध में डॉक्टर शशिकांत चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यदि पैथोलॉजी की जांच पर भरोसा करके उन्होंने ट्रीटमेंट शुरू कर दिया होता तो रोगियों के लीवर पर बुरा असर पड़ सकता था।
इस संबंध में जब डिप्टी सीएमओ डॉक्टर दिनेश श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मौखिक शिकायत मिली है। लिखित शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस तरह से मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाली पैथोलॉजी की संचालक के साथ क्या सलूक किया जाएगा। इनके विरुद्ध कार्रवाई होगी या फिर जांच के नाम पर खानापूरी करके क्लीन चिट दे दी जाएगी?
और जांच के नाम पर चल रहा है गोरख धंधा
विडाल टेस्ट के मामले में जांच करने वाली आरआर पैथोलॉजी के बारे में जानकारी यह भी हुई है कि इस पैथोलॉजी का रिनीवल नहीं हुआ है और बिना रिनीवल कराए ही पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पैथोलॉजी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में जिस पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर एम के वासने का नाम डाला गया है, इस नाम का कोई पैथोलॉजिस्ट है ही नहीं।
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