Lucknow University: हाइड्रा पृथ्वी का अमर प्राणी, मनुष्य से मिलतीं है आनुवांशिक संरचना
लखनऊ, अमृत विचार: पृथ्वी का सबसे सूक्ष्म जीव हाइड्रा अमर है। न ही इसकी उम्र बढ़ती है और न ही आकार व स्वरूप ही बदलता है। ये जानकारी अगरकर शोध संस्थान पुणे के के जीवविज्ञान के प्रोफेसर सुरेंद्र घसकाडी ने भारतीय विकासवादी जीवविज्ञानी समाज के सम्मेलन में दी। उन्होंने बताया कि हाइड्रा और मनुष्य की जीन की आनुवांशिक संरचना में काफी समानताएं हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे सम्मेलन में दूसरे दिन आरहस विश्वविद्यालय डेनमार्क के प्रो. त्रिने बिल्ड ने मकड़ियों के समूह में उनके सामाजिक व्यवहार के बारे में जानकारी दी। बताया कि बड़े औपनिवेशिक घोंसलों में एक साथ रहती हैं। उन्होंने प्रोजेक्टर पर मकड़ियों में नर आबादी में गिरावट का कारण दिखाया। बताया कि नर मकड़ी में वंश वृद्धि की इच्छा खत्म होती जा रही है। आईआईएसईआर त्रिवेंद्रम की डॉ. हेमा सोमनाथन ने बताया कि मकड़ियां शिकार करते समय वह एक-एक करके हमले करती हैं।
पैंपा पक्षी होते हैं भाषाओं के जानकार
मोहाली से आई वैज्ञानिक डॉ. मंजरी जैन ने बताया कि जंगल बैबलर पक्षी यानी पेंपा भाषाओं के जानकार होत हैं। जिस तरह मनुष्य की अलग-अलग बोली और भाषाएं हैं उसकी तरह पेंपा भी अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग क्षेत्रों में बात करते हैं। उन्होंने विडियो के माध्यम से दिखाया कि पेंपा एक-दूसरे के साथ कैसे संवाद करते हैं।
इन वैज्ञानिकों ने भी रखे विचार
आईआईएससी बैंगलोर की डॉ. सास्क्य वान नौहिस, बीएसआईपी की पूर्व निदेशक डॉ. वंदना प्रसाद, प्रो. ट्राइन बिल्ड, ओमान विश्वविद्यालय के डॉ. तपन मोहंता, श्रीजा राय, एनसीबीएस बैंगलोर से विजय नागवे, प्रिया अग्निहोत्री, तन्वी देवड़ा, डॉ. दीपा अगाशे, एनसीबीएस, बैंगलोर, कर्नाटक विश्वविद्यालय से डॉ. बीएस श्रीनाथ, अजीज प्रेमजी विश्वविद्यालय से डॉ. दिव्या उमा और आईआईएसईआर तिरुवनंतपुरम से डॉ. इंदुकला ने विभिन्न जीव-जंतुओं पर विचार रखे।
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