अयोध्या: 99 केंद्र राम भरोसे, तो 152 का नहीं है अपना भवन, वेंटिलेटर पर है सोहावल की बाल विकास परियोजना

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Published By Deepak Mishra
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नौनिहालों का आहार तक आश्रित संस्थाओं पर है निर्भर

अरुण पांडेय, सोहावल/अयोध्या अमृत विचार। नौनिहालों का भविष्य तय करने वाली संस्था बाल विकास परियोजना सोहावल में वेंटिलेटर पर चल रही है। इसका यहां दम घुट रहा है। बेहाल केंद्रों का संचालन उन सहायिकाओं के बलबूते चलाया जा रहा है जिन्हें केवल शिक्षित माना जाता है। यहां डेढ़ सौ से ज्यादा आंगन बाड़ी केंद्रों के पास आज तक अपना भवन तक नहीं है। जिनके पास पंजीकृत बाल नौनिहालों की शिक्षा, स्वास्थ और आहार की जिम्मेदारी है। इसके लिए उन हजारों नौनिहालों को आश्रय दाई संस्था पर निर्भर रहना पड़ता है।

56 ग्राम पंचायतों वाले विकास खंड में स्थापित परियोजना में 225 आंगनबाड़ी केंद्र बनाए गए है। इनमें नगर पंचायत खिरौनी के 22 केंद्र शामिल है। जिनमें पंजीकृत नौनिहालों की संख्या 40 से 50 के आसपास है। कुल 38 आंगनबाड़ी कार्यकत्री और 88 सहायिकाओं के जिम्मे इनके संचालन की जिम्मेदारी वाले इन केंद्रों से जुड़े हजारों बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ और संतुलित आहार की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं के बलबूते शासन से रखी गई है जो स्वयं दुर्व्यवस्था के चलते लाचार है। शासन की अनदेखी और फर्जी आंकड़ेबाजी का यह परिणाम है कि आज भी इन आंगन बाड़ी केंद्रों में केवल 73 के पास अपना भवन है जब कि 90 केंद्रों को स्थानीय प्राइमरी स्कूलों में चलाया जा रहा है तो 52 अस्थाई भवनों में शरण लिए है। 10 केंद्र ऐसे है जिन्हें गांव के पंचायत भवनों में चलाया जा रहा है।

सात सुपर वाइजर में केवल 3 सुपर वाइजरों की नियुक्ति है। चार की जगह खाली चल रही है। शासन की इस व्यवस्था में जो भी संसाधन मिलता है उसी में केंद्रों का संचालन होता है। आंगनबाड़ी की नियुक्ति हो या भवनों का अभाव सरकार पर निर्भर करता है... अनिता सोनकर, सीडीपीओ, सोहावल।

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