अपनों की तलाश में सीरिया की खौफनाक जेल पहुंच रहे लोग, असद शासन के दौरान हजारों विरोधियों को दी गई फांसी
दमिश्क (सीरिया)। सीरिया में पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के खात्मे के बाद जिस जगह लोग सबसे पहले पहुंच रहे हैं, वह है सैदनया जेल। अपनों की तलाश में सीरिया के कोने कोने से हजारों की संख्या में लोग इस खौफनाक जेल में पहुंच रहे हैं, जो अपनी भयावहता के लिए इतनी बदनाम जगह थी कि इसे लंबे समय तक ‘‘कत्लगाह’’ के रूप में जाना जाता था। बीते दो दिनों से ये लोग दमिश्क के बाहर स्थित गुप्त, विशाल जेल में वर्षों या दशकों पहले गायब हुए अपने प्रियजनों मौजूदगी के निशान तलाशने के लिए इस जेल में उमड़ रहे हैं। लेकिन सोमवार को उम्मीद की जगह निराशा ने ले ली।
लोगों ने गलियारों में लगे लोहे के भारी दरवाजे खोले और पाया कि अंदर की कोठरियां खाली थीं। हथौड़ों, फावड़ों और ड्रिल की मदद से लोगों ने फर्श और दीवारों में छेद कर दिए। वे उन चीजों की तलाश कर रहे थे जो उन्हें लगता था कि वे गुप्त कालकोठरी में छिपे हैं। वे ऐसी आवाजों का पीछा कर रहे थे जो उन्हें लगता था कि उन्होंने जमीने के नीचे से सुनी हैं। हालांकि उनके प्रयास असफल रहे और उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा। रविवार को जब दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा हुआ तो उन्होंने सैदनया सैन्य जेल से दर्जनों लोगों को रिहा कर दिया। तब से अब तक लगभग किसी का पता नहीं चल पाया है। वहां पहुंची घादा असद की आंखों में आंसू थे। उन्होंने पूछा, ‘‘सारे लोग कहां हैं? सबके बच्चे कहां हैं। कहां हैं सभी लोग?’’
The images coming out Sednaya Prison should haunt us for ages to come, thousands trapped beneath layers of structures, never seeing the light of day.
— Rami Jarrah (@RamiJarrah) December 8, 2024
Detainees held without charge in solitary confinement, left to rot. This is the "Human Slaughterhouse" of Syria. pic.twitter.com/Q6ghSIxv49
असद अपने भाई की तलाश में दमिश्क स्थित अपने घर से राजधानी के बाहरी इलाका स्थित जेल पहुंची थीं। उनके भाई को 2011 में हिरासत में लिया गया था जब पहली बार राष्ट्रपति के शासन के खिलाफ विद्रोह भड़का था, जिसके बाद विद्रोह ने गृह युद्ध का रूप ले लिया था। हालांकि वह नहीं जानती कि उनके भाई को क्यों गिरफ्तार किया गया था। तलाशी में मदद कर रहे नागरिक सुरक्षा अधिकारी भी परिवारों की तरह ही इस बात को लेकर भ्रमित थे कि कोई और कैदी क्यों नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हाल के हफ्तों में यहां कम कैदी रखे गए हैं। असद के शासन के दौरान और खास तौर पर 2011 में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद राष्ट्रपति के प्रति असहमति का कोई भी संकेत व्यक्ति को सैदनया जेल पहुंचा सकता था। बहुत कम लोग ही जेल से बाहर आ सके।
वर्ष 2017 में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ के अनुमान के अनुसार, उस समय ‘‘समाज के हर क्षेत्र से’’ 10,000-20,000 लोगों को सैदनया जेल में रखा गया था। रिहा किए गए कैदियों और जेल अधिकारियों की गवाही का हवाला देते हुए एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान हजारों लोगों को सामूहिक फांसी दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, कैदियों को लगातार यातना दी जाती, पीटा जाता, उनसे बलात्कार किया जाता। मानवाधिकार संगठन ने कहा कि तकरीबन हर दिन जेल के सुरक्षा गार्ड जेल कोठरियों से उन कैदियों के शवों को एकत्रित करते जिनकी यातना के कारण मौत हुई थी।
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