Kanpur: बाजार में बढ़ती चोरियों और जलभराव से त्रस्त आ चुके कारोबारी; बोले- न्यू ट्रांसपोर्ट नगर की तर्ज पर बसाएं कबाड़ी मार्केट

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। शहर के लगभग 75 साल पुराने बाजार सरोजनी नगर कबाड़ी मार्केट में अब नई दुकानों के लिए जगह नहीं है। सीमित जगह और समस्याओं से घिरे कारोबारियों ने अब बाजार को शहर के किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किए जाने की मांग उठाई है। कारोबारियों का कहना है कि बाजार में लगातार चोरियां होती हैं, जलभराव की समस्या का निदान भी कई वर्षों से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में न्यू ट्रांसपोर्ट नगर की तर्ज पर न्यू कबाड़ी मार्केट बनाकर यहां के कारोबारियों को वहां पर बसाया जाए। 

अमृत विचार अखबार ने शुक्रवार को सरोजनी नगर कबाड़ी मार्केट के कारोबारियों के साथ संवाद किया। इसमें सरोजनी नगर ट्रॉली एंड ट्रॉली पार्ट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी और बाजार के व्यापारी शामिल हुए। बाजार की समस्याओं पर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन सिंह कोहली, संरक्षक कपिल सब्बरवाल व महामंत्री रंजीत सिंह बिल्लू ने कहा कि पुरानी बाजार होने के चलते अब समस्याओं को हल करना मुश्किल है। 

व्यापारी लगातार इसके लिए आवाज उठा रहे हैं लेकिन कोई हल नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में बाजार को नई जगह पर बसाकर पहले से ही वहां पर बाजार लायक सुविधा दिया जाना चाहिए। व्यापारियों ने यह भी कहा कि न्यू कबाड़ी मार्केट के लिए वे लोग जल्द ही केडीए व नगर निगम के अधिकारियों से मिलने के लिए समय लेने जा रहे हैं। 

बाहर सामान रखना मजबूरी

बाजार में छोटी दुकानें होने के चलते वाहनों के बड़े उपकरण बाहर रखना व्यापारियों की मजबूरी है। बताया गया कि ऐसी स्थिति में चोर दिन में रेकी कर रात में सामान चुराकर ले जाते हैं। व्यापारियों ने इसीलिए न्यू कबाड़ी मार्केट बसाने की मांग उठाई है। उन्हें उम्मीद है कि उनकी मांग पूरी होगी। 

कहा कि नया बाजार मिलने से इस तरह की समस्या का भी निदान मिल सकेगा। नई जगह को इस तरह से अधिकारी प्लान करें जिसमें दुकान और गोदाम आसानी से बनाया जा सके। इससे व्यापारियों का सामान भी सुरक्षित रह सकेगा। 

सर्दियों में बढ़ जाती चोरियां

बाजार में पिछले चार -पांच वर्षों से चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं। व्यापारी जसबीर सिंह व देवेंद्र सिंह ने बताया कि गर्मियों में तो पूरी रात बाजार में मजदूर सड़क पर रहते हैं लेकिन सर्दियों में उनके न रहने पर लाखों रुपये का सामान चोरी हो जाता है। कहा कि बाजार में चोरी की घटनाओं की बात की जाए तो सर्दियों में हर महीने चार से पांच घटनाएं आम हो गईं हैं। व्यापारियों ने इसके लिए बाजार बंदी का ऐलान कर धरना भी दिया लेकिन उसका भी कोई लाभ नहीं मिला। घटनाओं को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं और प्राइवेट सुरक्षा कर्मी भी रखे हैं लेकिन चोर घटना को अंजाम दे जाते हैं। 

जीएसटी का किया विरोध

बाजार में दो व चार पहिया वाहन, ट्रक, ट्रॉली बनाने के पुराने सामान से जुड़ा कारोबार होता है। व्यापारी मनदीप सिंह व परमजीत सिंह ने बताया कि पुराने पार्ट्स पर 18 फीसदी जीएसटी लग रही है। यह वैट के समय सिर्फ 5 फीसदी ही थी। बाजार से सबसे अधिक कृषि संबंधी उपकरणों की बिक्री होती है। ऐसे में इस टैक्स का बोझ सबसे अधिक किसानों पर पड़ता है। व्यापारियों ने कहा कि टैक्स कम करने के लिए उन लोगों ने पूर्व में वित्तमंत्री को भी पत्र लिखकर पुराने उपकरणों पर टैक्स कम करने या फिर खत्म करने की मांग की थी। बावजूद इसके अब तक कोई हल नहीं निकल सका। 

जलभराव बनता मुसीबत

बाजार में पांच वर्ष पहले नई सीवर लाइन डाली जा चुकी है। कारोबारी कहते हैं कि उस लाइन से अभी तक कई पुरानी लाइन जोड़ी ही नहीं जा सकी हैं। ऐसी स्थिति में बरसात के दौरान कबाड़ी मार्केट में जलभराव हो जाता है। तेज बारिश होने पर पानी दुकानों के भीतर तक पहुंच जाता है। 

ऐसे में लोहे के पुराने सामान में रखरखाव के आभाव में जंग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। कारोबारियों ने यह भी बताया कि बाजार में दुकान और रिहायशी मकान दोनों ही हैं। इसलिए जलभराव की समस्या व्यापारी और आम लोगों के लिए ही मुसीबत बन जाती है।

ऑनलाइन मार्केटिंग बढ़ी

कबाड़ी मार्केट के कारोबारियों को तकनीक के विकास से लाभ हुआ है। दावा किया गया कि यह बजार दिल्ली के बाद सबसे बड़ी पुराने उपकरणों की बाजार हैं। ऐसे में दूर-दराज से लोग यहां पर खुद पुराने उपकरणों को खरीदने आते थे। 

तकनीक का विकास और ऑनलाइन भुगतान की सुविधा सुलभ होने से अब खरीदार बाजार आने के बजाय घ्र से ही सामान का ऑर्डर देते हैं। बाजार से सामान की फोटो और रेट खरीदार को भेजे जाते हैं। ऑनलाइन भुगतान होने के बाद खरीदार तक माल पहुंचा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में तकनीक के विकास से उनका लाभ हुआ है।  

मूलभूत सुविधाओं की कमी

बाजार में मूलभुत सुविधाओं की भी कमी हैं। पूरी बाजार में सैकड़ों व्यापारी व हजारों मजदूर होने के बाद भी एक भी टॉयलेट नहीं हैं। टॉयलेट न होने से लोगों को परेशानी होती है। व्यापारियों ने कहा कि टॉयलेट न होने से ज्यादातर मजदूर बाजार की गलियों में पेशाब करते हैं। इससे बाजार को जोड़ने वाली गलियां गंदी रहतीं हैं। सफाई की भी समुचित व्यवस्था न होने के चलते कई गलियां ऐसी हैं जहां हमेशा दुर्गंध आती रहती है। नगर निगम को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। 

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