Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में भगदड़ का सुनिए आखों देखा हाल, चीख पुकार के बीच अपनों को तलाश रही निगाहें

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Published By Muskan Dixit
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मिथलेश त्रिपाठी, महाकुंभ नगर, अमृत विचार: मौनी अमावस्या यानी बुधवार को मुख्य स्नान पर्व पर गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती त्रिवेणी की पावन जल धारा में देश के कोने-कोने से संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए श्रृद्धालू पहुंच रहे थे। मै भी महाकुंभ के अपने कैंप कार्यालय में मौजूद था। रात 11 बज रहे थे। कुछ साथी भी स्नान करने की मंशा से आये हुए थे। कैंप के बाहर निकला तो कुछ ठंड महसूस हुई, लेकिन नंगे पांव, सिर पर गठरी लिए एक धुन में श्रृद्धालुओं का संगम की ओर बढ़ता कारवां देखा तो मन में डुबकी लगाने की लालसा उठने लगी। फिर क्या था। करीब 11:15 पर साथियों के साथ एक गमछा लेकर मै भी पैदल उन श्रृद्धालुओं की भीड़ में शामिल हो गया।

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 मन में उत्साह लेकर उसी भीड़ के साथ करीब 12:30 बजे संगम के किनारे धक्के खाता जा पहुंचा। भीड़ इस कदर थी कि कब मैं धक्के के सहारे संगम पहुंच गया, पता ही नहीं चला। साथियों के साथ मैने भी आस्था की 11 डुबकी लगाई और घाट पर वापस आ गया। बस फिर क्या था कपड़े बदलने के बाद जैसे ही घाट से महज 50 कदम दूरी पर पहुंचा। जोर-जोर से जयकारे की गूंज के साथ एक युवाओं की टोली संगम नोज की तरफ दौड़ते हुए पहुंची।

अचानक से युवकों का झुंड घाट पर रही महिलाओं को धक्का देते आगे बढ़ने लगा। देखते ही देखते घाट पर भगदड़ मच गयी। चारो तरफ चीख पुकार मच गई। उस भीड़ में कोई अपनी मां की तलाश कर रहा था, तो कोई अपनी बेटे की। कोई अपनी पत्नी तो कोई बहन। हर कोई अपनों की तलाश में इधर उधर भागने लगे। 

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लोगों का जन सैलाब इतना था कि लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़ते गये और उठ नहीं सकें। थोड़ी ही देर में सायरन की आवाजें कानो में गूंजने लगी। लगातार दर्जनों की संख्या में एम्बुलेंस पहुंची। पुलिस के जवान पहुंचे और घाट के किनारे पड़े लोगों को केंद्रीय चिकित्सालय ले जाने लगे। करीब 3 घंटे तक यह सिलसिला चलता रहा। एक के बाद एक 70 एम्बुलेंस घायलों को लेकर अस्पताल पहुंचती रहीं। एम्बुलेंस के पीछे परिजन भी अपनों की कुशलता के लिए दौड़ते रहे। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे और कब ये सब हो गया। 

 

परिवार को ढूंढते रहे जय प्रकाश

जयप्रकाश ने बताया कि मैं अपने पूरे परिवार के साथ कुंभ स्नान करने आया था। उस भीड़ ने मेरे पूरे परिवार को इस कदर दबा दिया जैसे कोई बोर की छल्ली लगा रहा हो। मैं किसी तरह से निकला और अपने बच्चों को निकाला, फिर पिता और पत्नी की तलाश की। पुलिस उन्हें अस्पताल ले गई।

कर्नाटक के बेलगाम से आई महिला विद्या साहू ने बताया कि हम लोगों के बीच में बाहर के कुछ लोग घुस आए और धक्का देते हुए आगे चले गए। 

चित्रकूट से गंगा नहाने आये इंद्रपाल ने बताया कि हम भीड़ में फंस गए थे। जैसे ही हम संगम के पास पहुंचे, अचानक स अफरा-तफरी मच गई। हम भीड़ से बाहर निकल तो आये, लेकिन नीचे गिर गए और रास्ता भूल गए। उन्होंने बताया कि मुझे अपने बहनोई चंद्रपाल को लेकर ज्यादा चिंता है। 

मंडलायुक्त ने सो रहे श्रृद्धालुओं की बचाई जान

मंडलायुक्त सभी श्रृद्धालुओं को सतर्क कर रही थी कि लोग जल्द से जल्द स्नान कर लें। वह कह रहे थे कि सभी लोग सुन लें, यहां लेटे रहने से कोई फायदा नहीं है। जो सोवत है, सो खोवत है। उठिए-उठिए स्नान करिये। ये आपके सुरक्षित रहने के लिए है। भगदड़ मचने की संभावना है। आप यहां सबसे पहले आये है तो आपको सबसे पहले अमृत मिल जाना चाहिए। सभी श्रृद्धालुओं से करबद्ध निवेदन है। उठे-उठे-उठे, सोए न। संगम मे हुई भगदड़ से पहले प्रयागराज मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने घाट के पास जमीन पर सो रहे श्रृद्धालुओं को एनाउसमेंट के माध्यम से इसी तरह से उठाने का प्रयास किया था।  

 

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केंद्रीय अस्पताल की बढ़ा दी गई सुरक्षा

केंद्रीय अस्पताल में घायलों को लेकर लगातार एम्बुलेंस पहुंचती रही। भारी भीड़, सैकड़ो पुलिसकर्मी के घेरे में केंद्रीय अस्पताल को घेर दिया गया। घायलों के आलवा अंदर जाने की किसी को इजाजत नहीं मिली। अंदर बाहर सिपाही और सीआरपीएफ के जवान लगे रहे।

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