Lucknow News : तफ्तीश के पन्नों में दफ़्न इंटरमीडिएट छात्र और क्लीनिक कर्मचारी की हत्या का राज!

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Published By Vinay Shukla
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डेढ़ माह के भीतर बीकेटी पुलिस की केस डायरी में दर्ज हत्याएं बन चुकी हैं ब्लांइड मर्डर

राज प्रताप सिंह, अमृत विचार : बीकेटी सर्किल में डेढ़ माह के भीतर हुई इंटरमीडिएट के छात्र पीयूष उर्फ मानू रावत (20) और क्लीनिक कर्मचारी अंकित वर्मा (25) की हत्या, पुलिस के लिए पहेली बन चुकी है। इन हत्याओं की असली वजह पता कर पाना तो दूर पुलिस कातिलों का सुराग लगा पाने में असमर्थ हो चुकी है। यही वजह है कि यह दोनों हत्याएं तफ्तीश के पन्नों तक सिमट चुकी हैं। पुलिस के लिए ये दोनों वारदातें ब्लाइंड मर्डर हैं। इन दोनों मामलों में कातिलों ने पुलिस को उझला रखा है।

गौरतलब है कि 19 दिसम्बर को भौली गांव में एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में लापता इंटरमीडिएट के छात्र पीयूष उर्फ मानू की लाश मिली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छात्र की गला कसकर हत्या की गई थी।  जिसके बाद हत्यारों ने शव को निर्माणाधीन बिल्डिंग में फेंक दिया था। पीयूष के कातिलों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की चार टीमें गठित की गई थीं। सर्विलांस की मदद से छात्र की अंतिम लोकेशन खंगाली गई। इसके साथ ही बीटीएस सिस्टम से जांच की गई तो घटनास्थल से किसी का भी मोबाइल ट्रैक नहीं हो सका। जिसके बाद पुलिस ने क्राइम सीन रिक्रिएशन से भी इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने का प्रयास किया। फिर भी कोई हल नहीं निकला। जिसके बाद पुलिस ने पीयूष हत्याकांड को ब्लाइंड मर्डर करार दे दिया। 

बीकेटी पुलिस की नाकामी

वहीं, 10 जनवरी को बीकेटी के लखनऊ- सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे बसे रुखारा गांव में किराने की दुकान की छत पर सो रहे क्लीनिक कर्मी अंकित वर्मा हत्या कर दी गई थी। कातिलों ने अंकित के हाथ-पांव बांध उसका गला घोंटकर मार डाला था। प्रभारी निरीक्षक संजय सिंह ने बताया कि मामले की तफ्तीश जारी है। अभी तक हत्यारों का सुराग नहीं मिल सका। लिहाजा, यह दोनों हत्याएं ब्लाइंड मर्डर है।

स्ट्रीट क्राइम कंट्रोल की हकीकत सामने आई
राजधानी पुलिस स्ट्रीट क्राइम कंट्रोल करने का दावा करती है, लेकिन इन दोनों हत्याओं ने उन दावों की हकीकत सामने रख दी है। छात्र के परिजनों का कहना है कि जिस वक्त कातिलों ने पीयूष की हत्या कर शव को निर्माणाधीन बिल्डिंग में फेंका था। तब पुलिस की पेट्रोलिंग कहां थी? वहीं, क्लीनिक कर्मचारी अंकित की गला घोंटकर हत्या की गई तब संदिग्धों पर नजर रखने वाली पुलिस कहां थी?

ऑर्नर किलिंग के मामले में होती दिक्कतें
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी राजेश पाण्डेय ने बताते हैं कि ज्यादातर ऑर्नर किलिंग के मामले में पुलिस को सबसे ज्यादा दिक्कतें होती हैं। ऐसी तमाम घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां परिजनों ने ही परिवारिक सदस्य की हत्या करके, शव ठिकाने लगाया होता है। परिजन कार्रवाई की मांग को लेकर पुलिस से फरियाद भी करते है, ताकि उन पर कोई शक न करे। इन मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस को लम्बा वक्त लगता है, ऐसे में लोग समझते हैं कि केस डंप हो चुका है। मगर पुलिस लगातार छानबीन करती है।

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