Wanted Tiger: 40 बीघे के घने जंगल में 60 दिनों से वन विभाग को गच्चा दे रहा बाघ 

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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Malihabad, Amrit Vichar : रहमान खेड़ा के 40 बीघे के घने जंगल में करीब 60 दिनों से भी बाघ मिश्रित और घनी आबादी के आने-जाने वाले मार्गों पर घूम रहा है। जिससे ग्रामीणों के जेहन में दहशत बनी हुई है। दिन और रात के समय बाघ रहमान खेड़ा जंगल में लगी लोहे की जाली के नीचे से निकलकर बेहता नाला के किनारे होते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में निकल जाता है। फिर वापस आकर दिन में जंगल में पनाह लेता है। बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने में जुटे वनकर्मी अब तक बाघ का ठिकाना खोज नहीं सके हैं। यही वजह है कि बाघ हर बार वन विभाग को गच्चा देकर उनकी रणनीति पर पानी फेर देता हैं। ऐसे में ग्रामीणों का भरोसा वन विभाग पर धीरे-धीरे उठने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि बाघ के डर से वह सपरिवार पलायन करने में मजबूर हैं।

बाघ का डर (1)

दरअसल,  मलिहाबाद सर्किल के रहमानखेड़ा के 40 बीघे में फैले घने जंगल और 15 किलोमीटर के दायरे में सीआईएसएच परिसर (केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान) सहित करीब 60 गांव में बाघ की चहलकदमी से ग्रामीणों में दहशत बरकरार है। बाघ की तलाश में दो महीने से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। जंगल, सीआईएसएच परिसर और आसपास गांव के बाहर आने-जाने वाले मार्गों पर बाघ के नए-नए पगचिन्ह मिलते है, लेकिन कॉम्बिंग टीम को अब तक बाघ नहीं मिल पाया है।

वनमंत्री डॉ. अरुण सक्सेना के आदेश पर कानपुर, लखनऊ, पीलीभीत, उन्नाव, हरदोई और बाराबंकी की टीमें बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए जंगल में खाक छान रही है। 80 से ज्यादा वनकर्मियों को चकमा देकर बाघ 17 मवेशिया का शिकार कर चुका है। सोमवार को सीआईएसएच परिसर में बाघ के पगचिन्हों सहित गतिविधियां पाई गई हैं। डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया कि सीआईएसएच परिसर में पिंजरे में पड़वे को बांधकर निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही कनेरा, गुलाबखेड़ा, खालिसपुर, अल्लूपुर, घनश्यामपुर, इमलिया, मीठेनगर, कसमंडी खुर्द, शिवदासपुर, फतेहनगर, मलहा गांव में ग्रामीणों को सतर्क किया और बचाव के उपाय बताए।

बाघ की दहशत

पलायन पर मजबूर है कई परिवार

मीठेनगर गांव के रहने रामप्रकाश ने बताया कि बाघ के डर से बच्चे, महिलाएं घरों में कैद हैं। 16 जनवरी से स्कूल बंद है। जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। फसल की सिंचाई भी नहीं हो रही है। ऐसे में कुछ दिनों के लिए सपरिवार गांव से अलग रहने का मन होता है। वहीं, हाफ़िजखेड़ा गांव के रहने वाले रामखेलावन का कहना है कि वनकर्मी सिर्फ मुनादी पीटकर बाघ से सर्तक रहने के लिए अपील कर रहे है। ऐसे में कामकाज ठप हो चुका है। घर से अकेले निकलने में डर लगता है। आसपास के कुछ लोग गांव छोड़कर अपने रिश्तेदारों के घर जा चुके हैं।

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