कानपुर में आय से अधिक संपत्ति की जांच में इंस्पेक्टर, बर्खास्त करोड़पति सिपाही और फायर अफसर पाए गए दोषी: विभाग में मचा हड़कंप, इस तरह की हो रही चर्चाएं
भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने जांच के बाद दर्ज की तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर
कानपुर, अमृत विचार। आय से अधिक संपत्ति के मामले में यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर, बर्खास्त सिपाही और मुख्य अग्निशमन अधिकारी भ्रष्टाचार निवारण संगठन की जांच में दोषी पाए गए हैं।
जिसके बाद तीनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने इनकी आय से ज्यादा खर्च करने का आधार बनाकर एफआईआर दर्ज की है। अब संगठन तीनों की अर्जित की गई अतिरिक्त संपत्ति के श्रोतों की तलाश में जुट गई है। इस बड़े मामले में विभाग में हड़कंप मचा पड़ा है।
पुलिस महानिरीक्षक स्थापना को पुलिस विभाग में तैनात इंस्पेक्टर रामवीर के खिलाफ वर्ष 2020 में भ्रष्टाचार करने की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस पर पुलिस महानिरीक्षक अपने स्तर से जांच करा रहे थे। वर्ष 2023 में जांच के दौरान कानपुर देहात में तैनाती के दौरान रामवीर ने एक मामले में चार्जशीट लगाने के नाम पर वादी पक्ष से 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
रिश्वत की रकम लेने कल्याणपुर क्षेत्र में आए थे, तभी भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने उनको रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। रामवीर के घूस लेने के मामले में संगठन को 2023 में जांच दी गई। भ्रष्टाचार निवारण संगठन के इंस्पेक्टर जटाशंकर सिंह ने जांच शुरू की तो पाया कि मैनपुरी के गोलीखेड़ा भोगांव निवासी इंस्पेक्टर रामवीर ने आय से अधिक की संपत्ति अर्जित की।
साथ ही रामवीर ने वर्ष 2023 से 2004 तक अपनी आय के सभी ज्ञात और वैध श्रोतों से कुल 1,20,24,426 करोड़ रुपये की आय की। जबकि, इस अवधि में रामवीर ने विभिन्न परि संपत्तियों और पारिवारिक भरण पोषण आदि पर 1,44,14,301.63 करोड़ खर्च किए। यह आय के सापेक्ष 23,89,775.63 ज्यादा है।
इंस्पेक्टर ने जांच में पाया गया कि रामवीर ने आय के 19.8 प्रतिशत अधिक व्यय किया। पूछताछ के दौरान आय के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिए न ही कोई अभिलेख उपलब्ध कराए। इंस्पेक्टर रामवीर को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी मानाकर थाना भ्रष्टाचार निवारण में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
करोड़पति बर्खास्त सिपाही भी जांच में दोषी पाया गया
यूपी पुलिस का एक करोड़पति बर्खास्त सिपाही श्याम सुशील मिश्रा भी आय से अधिक संपत्ति की जांच में दोषी पाया गया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने पूर्व में सिपाही रहे श्याम सुशील मिश्र निवासी मिर्जापुर के भैंसा कड़वा के खिलाफ भी भ्रष्टाचार की शिकायत संगठन को मिली थी। इस पर इंस्पेक्टर पतुर सिंह को इसकी जांच सौंपी गई। विवेचक ने पाया कि सिपाही श्याम सुशील मिश्रा ने करीब पांच साल में अपनी आय के सभी ज्ञात और वैध श्रोतों से कुल 5,10,23051 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। इस अवधि में सिपाही की चल व अचल परिसपित्तियों के अर्जन और भरण पोषण पर कुल 8,21,63472.53 करोड़ रुपया खर्च किया गया। जांच में अपनी आय के सापेक्ष 3,11,40421.53 करोड़ रुपये अधिक खर्च किया। इस अतिरिक्त आय के बारे में सिपाही ने जांच अधिकारी को न कोई जवाब दिया न ही जांच में कोई सहयोग किया। इसके बाद वह उन्नाव के एक दुष्कर्म की घटना में फंसा बर्खास्त कर दिया गया। इसे भी दोषी पाए जाने पर रिपोर्ट दर्ज की गई है।
मुख्य अग्निश्मन अधिकारी भी फंसे और दर्ज हुई रिपोर्ट
दमकल विभाग के मुख्य अग्निशमन अधिकारी रहे विश्वरूप बनर्जी भी आय से अधिक संपत्ति मामले का दोषी पाया है। उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इनकी जांच इंस्पेक्टर अनुराधा सिंह को वर्ष 2021 में दी गई। जिसके बाद जांच में पाया गया कि फायर अफसर विश्वरूप बनर्जी ने वर्ष 2016 से 2021 तक ज्ञात व वैध आय श्रोत के जरिए 24,36,176 लाख रुपये अर्जित किए। इसके सापेक्ष में इस अवधि में 35,19,514 लाख रुपये खर्च किए। यह आय के सापेक्ष 10,83,338 लाख रुपये ज्यादा था। अग्निशमन अधिकारी विश्वरूप द्वारा इस अतिरिक्त आय के बारे में कोई साक्ष्य प्रस्तुत न कर पाने पर विवेचक ने उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी पाया। उनके खिलाफ थाना भ्रष्टाचार निवारण संगठन में रिपोर्ट दर्ज कराई है। तीनों बड़े मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद अब भ्रष्टाचार निवारण संगठन लखनऊ जांच करेगा। जिसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
