डेलापीर तालाब: हाईकोर्ट में केस हारने के बाद जागे नगर निगम के अफसर! खंगालने शुरू किए पुराने रिकॉर्ड

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार: हाईकोर्ट में केस हारने से लेकर डेलापीर तालाब की जमीन बिकने तक सोए रहे नगर निगम के अफसर अब जागे हैं। अब तालाब का 1950 से अब तक के रिकॉर्ड की जांच शुरू करने के साथ हाईकोर्ट के फैसले का भी अध्ययन किया जा रहा है ताकि उसमें नगर निगम के पक्ष में कोई संभावना तलाश की जा सके।

रामभरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट की ओर से डेलापीर तालाब की 3924.85 वर्ग मीटर की भूमि बिल्डर को बेच देने के मामले में नगर निगम गाटा नंबर के आधार पर राजस्व विभाग से रिकॉर्ड निकलवा रहा है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि सड़क के दोनों तरफ एक ही गाटा नंबर है या अलग-अलग है। अफसरों का कहना है कि इसी आधार पर आगे रणनीति तय की जाएगी।

दरअसल, एडीएम फाइनेंस के कोर्ट ने 11 जनवरी 2021 को रामभरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट बनाम नगर निगम बरेली के केस में फैसला सुनाया था कि हाईकोर्ट की विधिक व्यवस्थाओं और शासनादेशों से स्पष्ट है कि पोखरों, तालाब आदि पर किसी भी व्यक्ति काे कोई अधिकार किसी भी प्रावधान से प्राप्त नहीं होते। नगर निगम के अधिकारी अब पता लगा रहे हैं कि जब 143 डी, गाटा नंबर 133 ग्राम बिहारमान नगला परगना और तहसील बरेली का भाग होने के कारण तालाब की सुरक्षित भूमि राज्य सरकार की संपत्ति है तो उसे बेच कैसे दिया गया।

हाईकोर्ट के आदेश का गहनता से अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद ही कुछ बता पाना संभव होगा। गाटा नंबर की स्थिति को भी स्पष्ट रूप से जानने की जरूरत है। इसके लिए फाइल तलब की गई है। पुराने रिकार्ड के बारे में पता लगाया जा रहा है- संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त।

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