स्कूल के करिकुलम में शामिल होगा 'गाय और गो पालन' कोर्स, सात हजार से अधिक गो आश्रय स्थल आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी

महाकुंभ नगर में गो-संरक्षण एवं दुग्ध विकास पर की समीक्षा

स्कूल के करिकुलम में शामिल होगा 'गाय और गो पालन' कोर्स, सात हजार से अधिक गो आश्रय स्थल आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी

लखनऊ, अमृत विचार: राज्य सरकार गाय और गोपालन को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रही है। इसके पीछे मंशा बच्चों में गोवंश और उसके दुग्ध के महत्व की समझ विकसित करने की है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के 7713 गो आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इन स्थलों पर 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। दरअसल, राज्य सरकार की योजना गाय के दूध के साथ साथ उसके गोबर एवं मूत्र का व्यावसायिक उपयोग करने की है।

प्रयागराज के संगम तट पर शनिवार को पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने की अध्यक्षता में पशुपालन एवं दुग्ध विकास की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में धर्मपाल सिंह ने पशुधन एवं दुग्ध विकास के कार्यों, उपलब्धियों एवं भावी योजनाओं की चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

राज्य सरकार 38 जिलों में एनजीओ और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी से गोकास्ट, गमले, गोदीप, वर्मी कम्पोस्ट और बायोगैस का उत्पादन करा रही है। नाबार्ड के सहयोग से गोशालाओं में बाउंड्रीवाल, ब्रिक सोलिंग और पानी की चरही का निर्माण कराया जा रहा है। 9450 हेक्टेयर गोचर भूमि में से 5977 हेक्टेयर पर हरा चारा उत्पादन किया गया है। आगामी तीन वर्षों में 50,000 हेक्टेयर भूमि को गोशालाओं से जोड़कर चारा उत्पादन की योजना बनाई जा रही है।

बिन्दुवार उपलब्धियां

- गोवंश के भरण-पोषण के लिए अनुदान को 30 रु. से बढ़ाकर 50 रु. प्रतिदिन किया गया है।
- 543 वृहद गो संरक्षण केंद्रों के निर्माण की मंजूरी दी गई है, जिनमें से 372 केंद्र पूर्ण होकर संचालित
- सेक्सड सीमेन तकनीक को बढ़ावा देते हुए 700 रु. मूल्य वाले सीमेन डोज को 100 रु. में उपलब्ध
- 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स हैं, टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल मिलते ही पशुचिकित्सा और टीकाकरण की सुविधा
- छह करोड़ से अधिक पशुओं के लिए मुफ्त दवा और उपचार की व्यवस्था
- वर्ष 2025-26 में नंदबाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत 4000 नई समितियों का गठन करने की योजना

दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना करने की तैयारी

दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को भविष्य में दोगुना करने की योजना है। इसके तहत कानपुर (4 एलएलपीडी), गोरखपुर (1 एलएलपीडी) और कन्नौज (1 एलएलपीडी) के डेयरी प्लांट्स को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीपी) के माध्यम से संचालित करने की प्रक्रिया चल रही है। इससे दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों के माध्यम से उचित मूल्य पर दूध बेचने का अवसर मिलेगा और दुग्ध व्यवसाय से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। क्षमता बढ़ाने के लिए बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत बांदा में 20 एलएलपीडी क्षमता के नवीन डेयरी प्लांट की स्थापना की जा रही है। वहीं, झांसी में स्थापित 10 केएलपीडी क्षमता के डेयरी प्लांट को 30 केएलपीडी तक विस्तारित करने की परियोजना अनुमोदित की गई है। मथुरा में राज्य योजना के अंतर्गत प्राप्त ऋण से 30 केएलपीडी (विस्तारित 1 एलएलपीडी) क्षमता के डेयरी प्लांट की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है।

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