Prayagraj : सीलबंद पैक में खरीदे कच्चे माल की गुणवत्ता के लिए रेस्तरां मालिक उत्तरदायी नहीं

Prayagraj, Amrit Vichar : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीलबंद पैकेट में बिकने वाली खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता से संबंधित नियमों को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी खाद्य व्यवसाय संचालक जैसे रेस्टोरेंट संचालक को उसके द्वारा प्रयोग किए गए कच्चे माल या खाद्य सामग्री की गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जिसे उसने पंजीकृत निर्माता से सीलबंद पैकेट में खरीदा हो।
अगर सीलबंद पैकेट में खाद्य सामग्री असुरक्षित पाई जाती है तो इसका उत्तरदायित्व उसके पंजीकृत निर्माता या उसके वितरक का होगा, ना कि रेस्टोरेंट मालिक का। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने पीयूष गुप्ता और अन्य की याचिका को स्वीकार कर उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए पारित किया और ट्रायल कोर्ट को गोल्डी मसाला हल्दी पाउडर के वितरक के खिलाफ कार्यवाही करने की स्वतंत्रता दी, जिन्होंने उत्पाद की गुणवत्ता जांच पूरी न होने पर भी उसे वितरित कर दिया। मामले के अनुसार याचियों के रेस्टोरेंट परिसर से 21 मार्च 2023 को तलाशी के दौरान मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने गोल्डी मसाला ब्रांड के हल्दी पाउडर के चार पैकेट लिए और उन्हें जांच के लिए खाद्य प्रयोगशाला, लखनऊ भेजा।
खाद्य पदार्थों के नमूनों में लेड क्रोमेट पाया गया, जो मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त है। इसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी, शाहजहांपुर ने परिवाद प्रस्तुत किया, जिस पर संज्ञान लेते हुए संबंधित मजिस्ट्रेट ने खाद्य सुरक्षा एवं संरक्षण अधिनियम, 2006 की धारा 59(1) के तहत समन जारी कर दिया, जिसे याची द्वारा वर्तमान याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। याचियों के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची केवल हल्दी से खाद्य पदार्थ तैयार करने में शामिल है, ना कि हल्दी बेचने में। अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि अधिनियम की धारा 3 (1)(वाई) के तहत हल्दी पाउडर एक खाद्य घटक है और इसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के मानकों के अनुसार खाद्य उत्पाद के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
हल्दी पाउडर के लिए किए गए परीक्षणों में विशेष रूप से प्रावधान है कि इसमें लेड क्रोमेट की मात्रा नकारात्मक होनी चाहिए। इसके अलावा अधिनियम की धारा 3 (1)(एन) और 3(1)(ओ) के अनुसार खाद्य व्यवसाय संचालक की परिभाषा पर विचार करते हुए कोर्ट ने पाया कि एक खाद्य व्यवसाय संचालक किसी खाद्य सामग्री के लिए तब तक उत्तरदायी नहीं हो सकता, जब तक कि वह सामग्री उसके द्वारा बेची ना जाए।
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