बरेली: मीरगंज के छह गांवों में छुट्टा पशुओं का आतंक, किसानों पर हो रहे हमले
बरेली, अमृत विचार। कागजों पर अभियान चलाए जाने का नतीजा है कि छुट्टा पशुओं का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मीरगंज तहसील के छह गांवों में छुट्टा पशुओं का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि न किसानों की फसल सुरक्षित रह पा रही है, न वे खुद।
अब खुद एसडीएम ने मीरगंज और फतेहगंज पश्चिमी के बीडीओ को इस बारे में चिट्ठी लिखी है और इन गांवों से छुट्टा गोवंशीय पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में भिजवाने का निर्देश दिया है।
मनकरी, मोहम्मदगंज, उनासी, सिंधौली, रहपुरा जागीर और चिटौली समेत इन छह गांवों में गोवंशीय पशुओं के साथ बंदरों का भी भारी आतंक है। खासतौर पर गोवंशीय पशुओं की संख्या इतनी बढ़ गई है कि किसानों के लिए उनसे फसल बचाना मुश्किल हो गया है।
तमाम इस कोशिश में उनके हमलों का शिकार होकर गंभीर घायल भी हो चुके हैं। किसानों में हर समय दहशत बनी रहती है कि न जाने कब जानवर उन पर हमला कर दें या फिर किसी रात उनकी फसल बर्बाद कर दें।
पिछले दिनों भाकियू (टिकैत गुट) के पदाधिकारियों ने इस बारे में एसडीएम से शिकायत की थी। अब एसडीएम ने मीरगंज और फतेहगंज पश्चिमी के बीडीओ को पत्र लिखकर इन छह गांवों में अभियान चलाकर छुट्टा घूम रहे गोवंशीय पशुओं को गोशाला भिजवाने का निर्देश दिया है।
भाकियू (टिकैत गुट) के तहसील अध्यक्ष सुधीर कुमार का कहना है कि कई बार शिकायत के बाद भी किसानों की समस्या हल नहीं हुई। उनकी हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि वे अपने बच्चों की फीस तक जमा करने की हालत में नहीं रह गए हैं।
मनकरी गांव... किसी ने खेती छोड़ दी, कोई पड़ा है घायल
गांव में घूम रहे छुट्टा जानवरों से बहुत परेशान हूं। मेरा खेत खाली पड़ा हुआ है। एक-दो जानवर पालकर गुजारा कर रहा हूं। थोड़ी सी जमीन है, कोई फसल पैदा करो तो छुट्टा पशु बर्बाद कर देते हैं- सतीश सिंह
बहुत नुकसान हो रहा है। कुछ दिन पहले ही सांड़ ने टक्कर मारकर एक आदमी की दो पसलियां तोड़ दीं। दिन-रात कहां तक खेत रखाएं। गांव में डेढ़ सौ से ज्यादा छुट्टा जानवर हैं जो फसलों को उजाड़ रहे हैं-परमानंद
हमारे गांव में छुट्टा जानवरों का इतना प्रकोप है कि पूरी रात रखवाली के बाद भी हमें फसल नहीं मिलती है। मेहनत मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं, सरकार से अनुरोध है कि इन पशुओं को जल्दी पकड़वाए- हरद्वारी लाल दिवाकर
छुट्टा जानवरों से हम बहुत दुखी हैं। सात-आठ साल से हमारी फसल बर्बाद हो रही है, रखवाली करते-करते हम पर बुढ़ापा आ गया है। यह चिंता सताए रहती है कि बच्चों की शादी कैसे करें, पढ़ाई कैसे कराएं- पंडित सुरेंद्र
छुट्टा जानवरों से फसल बचाने के लिए रात-दिन रखवाली करनी पड़ती है। मुझे रास्ते में सांड़ ने टक्कर मार दी, मेरे हाथ की हड्डी टूट गई। तबसे कोई काम नहीं हो रहा है। सरकार ने मुआवजा भी नहीं दिया- लक्ष्मण प्रसाद
ये भी पढ़ें- बरेली: सिपाही की पत्नी की रहस्यमयी मौत, गले में सिरिंज के निशान, प्रेम प्रसंग की जांच
