प्रयागराज: न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग पर अड़े अधिवक्ता, हड़ताल का ऐलान

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव के खिलाफ एक आपातकालीन बैठक आयोजित कर सर्वसम्मति से 25 मार्च 2025 यानी मंगलवार से न्यायिक कार्य से विरत रहने का फैसला किया है।  

बार एसोसिएशन ने पहले ही दोषी न्यायाधीश को इलाहाबाद हाईकोर्ट या इसकी लखनऊ पीठ में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज करते हुए बयान दिया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट भ्रष्ट और दागी जजों का डंपिंग ग्राउंड नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बैठक कर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की मांग को नजरअंदाज करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण का आदेश पारित कर दिया, जिससे क्षुब्ध होकर बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से अगला निर्णय आने तक न्यायिक कार्य से विरत रहने का संकल्प लिया, साथ ही केंद्र सरकार से यह आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के उक्त फैसले में हस्तक्षेप करके इसे अविलंब खारिज किया जाए।

 बार ने अधिवक्ताओं से यह अपेक्षा की है कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट की अस्मिता को बचाने के लिए बार एसोसिएशन के संघर्ष में सहयोग देंगे। इसके अलावा बार ने यह भी सूचित किया कि 26 मार्च से फोटो एफिडेविट सेंटर भी अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेगा। विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर कोई अधिवक्ता कार्य करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा कार्यवाही की जाएगी। यह जानकारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी और महासचिव विक्रांत पांडेय द्वारा जारी की गई है। मालूम हो कि यह घटनाक्रम गत सप्ताह न्यायमूर्ति वर्मा के आवास के बाहरी हिस्से से बेहिसाब नकदी बरामद होने के बाद शुरू हुआ है, जब 14 मार्च को अग्निशमन कर्मी आग बुझाने के लिए वहां गए थे। 

घटना के समय न्यायमूर्ति और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश गए हुए थे। घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां थीं। न्यायमूर्ति के घर से जली हुई नगदी के वीडियो बनाए गए और वीडियो के वायरल होने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। हालांकि उन्होंने ऐसे आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह उन्हें फंसाने की साजिश है। सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई सम्पूर्ण रिपोर्ट तथा विशेष रूप से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के उत्तर पर विचार करने के पश्चात एसोसिएशन ने उनके उत्तर को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करके उनके विरुद्ध उचित आपराधिक कार्यवाही की जानी चाहिए, जिसकी जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जानी चाहिए। बार एसोसिएशन का मानना है कि दोषी जज के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को एक आंतरिक जांच शुरू की और न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के एक पैनल का गठन किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस कदम की सराहना की, लेकिन इसे पर्याप्त नहीं माना। बार का मानना है कि हम केवल यह आशा और भरोसा कर सकते हैं कि यह आंतरिक जांच न्यायमूर्ति वर्मा को बचाने के लिए लीपापोती तक सीमित न रह जाए।

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