कासगंज: जरूरत थी नहीं फिर भी 35 लाख से कराया तालाब का निर्माण...जांच मिला गड़बड़झाला !

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Published By Pradeep Kumar
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उदित विजयवर्गीय, कासगंज। कासगंज के विकास खण्ड क्षेत्र गंजडुंडवारा के गांव सिकंदरपुर ढाव में लघु सिंचाई विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 35 लाख कीमत से तालाब निर्माण कराया था। जिसमें भ्रष्ट्राचार और गबन समेत कई गंभीर आरोप लगे थे। मामले की जांच को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन हुआ था। जनवरी में जांच टीम ने मौका मुआयना कर साक्ष्य जुटाए थे। अब जांच टीम ने अधीक्षण अभियंता मेरठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें प्रथम दृष्टया तालाब निर्माण मे घालमेल की पुष्टि होने की बात कही गई। लिहाजा निर्माण कार्य से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।

गांव सिकंदरपुर ढाव में लघु सिचाई विभाग द्वारा 35 लाख से तालाब का निर्माण कराया गया था। शिकायकर्ता का आरोप था कि तालाब निर्माण को चिह्नित जगह मानक के विरुद्ध थी। संबंधित अधिकारियों पर अपने संगे सबंधियों को ठेका देकर तालाब निर्माण कराए बिना भुगतान कराने और गबन के गंभीर आरोप लगे थे। मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव लघु सिचाई लखनऊ समेत वरिष्ठ अधिकारियो से शिकायत भी की गई। जिसके बाद प्रमुख सचिव लघु सिंचाई, लखनऊ ने अधीक्षण अभियंता मेरठ को प्रकरण की जांच के निर्देश दिए थे। अधीक्षण अभियंता ने जांच को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। अधिशासी अभियंता लघु सिचाई खण्ड हापुड की अध्यक्षता मे जांच को तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। जिसमे अधिशासी एवं सहायक अभियंता लघु सिचाई को शामिल किया गया।जनवरी माह मे जांच कमेटी  के अध्यक्ष अधिशासी अभियंता लघु सिचाई हापुड़ नवीन कुमार द्वारा टीम के सदस्यों के साथ मौके पर पहुंची। लेकिन सम्बंधित स्थल के आस पास पानी भरा होने के चलते चिह्नित स्थल तक न पहुंच सकी। लेकिन इस दौरान जांच अधिकारियों ने मौजूद ग्रामीणो से जानकारी जुटाई। शिकायत के बिंदुओं पर जांच पड़ताल की गई और वापस चले गए।

जांच मे अनिमियतता की हुई पुष्टि
तालाब में भ्रष्ट्राचार की जांच को गठित कमेटी के अध्यक्ष अधिशासी अभियंता लघु सिचाई हापुड नवीन कुमार द्वारा मौके पर जांच उपरांत अधीक्षण अभियंता मेरठ को सौपी जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया तालाब निर्माण में अनिमियतताओ की पुष्टि की है। जांच रिपोर्ट  में तालाब निर्माण स्थल के चयन को ही गलत बताया गया है। क्योंकि जिस स्थल पर तालाब निर्माण की स्वीकृति दी गई थी वहां गंगा नदी समीप होने के चलते वाटर लेवल बहुत ऊपर है। वहीं उनके द्वारा शिकायत में गबन के आरोप पर सम्बंधित स्थल के चारो ओर गंगा का पानी भरे होने के चलते भौतिक सत्यापन किए जाने मे असर्मथता जताई गई। जांच मे कार्यवाही क्या होगी यह तो शायद किसी को पता नहीं। लेकिन जांच रिर्पोट से एक बात तो स्पष्ट है कि उक्त स्थल पर तालाब निर्माण की कोई आवश्यकता नही थी,लेकिन इसका निर्माण करा दिया गया। जिसके चलते तलाब निर्माण में बड़े खेल की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। 

इन पर लटकी कार्यवाही की तलवार
तालाब निर्माण में दायित्वों के निर्वहन के लिए विभागीय दिशा निर्देशों के मुताबिक सम्बंधित स्थल चयन एवं चेकिंग कार्य का दायित्व सहायक अभियंता एवं अधिशासी अभियंता के पास होता है। उसी आधार पर वर्तमान मे तैनात अधिशासी अभियंता अलीगढ अभिराम वर्मा एवं सहायक अभियंता मुकीम अहमद द्वारा तालाब के स्थल चयन की जिम्मेदारी थी। अब जां रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया अनियमितता सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हुए हैं। गंगा की तलहटी में मानक के विरुद्ध जगह का चयन और फिर तालाब निर्माण की स्वीकृति कैसे दे दी गई। यूं तो अंतिम रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा लेकिन घोर लापरवाही बरते जाने से संबंधित अधिकारियो पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

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