Turkey On Kashmir: पहले PAK का समर्थन और अब कश्मीर पर बात, पाकिस्तान के फेवर में खुलकर आया तुर्की, जानिए क्या बोला भारत
अमृत विचारः तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन ने कश्मीर मुद्दे पर एक बार फिर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए मध्यस्थता की पेशकश की है। 17 मई को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि तुर्किए “दोनों देशों के बीच संतुलन” बनाते हुए “मानवाधिकार-आधारित समाधान” में योगदान देने को तैयार है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती।
पाकिस्तान से सिर्फ दो मुद्दों पर होगी बात: भारत
पीएम नरेंद्र मोदी का रुख एकदम स्पष्ट है। उन्होंने पहले ही कह दिया है कि आतंकवाद और बातचीत दोनो साथ-साथ नहीं चल सकते है। भारत के अनुसार पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए अब सिर्फ दो मुद्दे बचे हैं। इसमें पहला पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का समापन और दूसरा पाक अधिकृत कश्मीर (POK) की भारत वापसी। इस तरह से एर्दोगन की मध्यस्थता की पेशकश भारत के लिए एकदम स्वीकार्य नहीं है।
पाकिस्तान से तुर्किए की 'दोस्ती'
भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही तनाव बना हुआ है। इस दौरान तुर्किए की भूमिका को लेकर भारत में गहरी नाराजगी है। तुर्किए ने पाकिस्तान को उन्नत ड्रोन तकनीक और हथियार मुहैया कराए, जिनका उपयोग भारत के खिलाफ किया गया। इसके चलते भारत में तुर्किए के उत्पादों के बहिष्कार की मांग तेज हो रही है। यह वही तुर्किए है, जिसे भारत ने 2023 के विनाशकारी भूकंप के दौरान ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत सबसे पहले सहायता प्रदान की थी।
कश्मीर मुद्दे पर हो रही अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश
तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बातचीत के बाद कहा, "हमने कश्मीर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की और समाधान के रास्ते तलाशे। हम ऐसा समाधान चाहते हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका हो।" भारत ने एर्दोगन के इस बयान को अपनी संप्रभुता पर दखल की कोशिश माना है। भारत लंबे समय से स्पष्ट करता आ रहा है कि कश्मीर पर किसी अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा और यह भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसे दोनों देश आपस में सुलझाएंगे।
भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं एर्दोगन
यह पहली बार नहीं है कि जब तुर्किए के राष्ट्रपति ने कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी की है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी उन्होंने कश्मीर को लेकर बयान दिया था, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था। भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि तुर्किए को अपने घरेलू मुद्दों, जैसे कुर्दों की स्थिति, मानवाधिकार उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता, पर ध्यान देना चाहिए, न कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए।
