निजीकरण का विरोध कर रहे बिजलीकर्मियों ने की UP के मुख्यमंत्री से अपील, हस्तक्षेप कर प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग की 

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध कर रहे बिजली कर्मचारियों ने इस मसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है। आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम प्रबंधन की हठवादिता चरम पर है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे इस मामले में प्रभावी हस्तक्षेप कर निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त कराने की कृपा करें। 

जिला अधिकारियों द्वारा बिजली कर्मी नेताओं की बुलाई गई बैठकों में बिजली कर्मियों ने उन्हें दो टूक बता दिया है कि निजीकरण पर कोई भी बात करनी है तो संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों से की जाए। आज लगातार तीसरे दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा है कि बिजली कर्मचारी इस भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होने देना चाहते। 

इसी दृष्टि से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक ध्यान आकर्षण आंदोलन चला रहे हैं मगर प्रबंधन इस ध्यान आकर्षण आंदोलन को हड़ताल बताकर बिजली कर्मियों को डराने, धमकाने, उत्पीड़न करने, ट्रांसफर करने ,संविदा कर्मियों की बड़े पैमाने पर छटनी करने आदि जैसे उत्पीड़नात्मक कदम उठाकर ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर अशांति का वातावरण बना रहा है। 

संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारियों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूरा विश्वास है। उनके नेतृत्व में बिजली कर्मचारियों ने 2017 में 41 फीसदी ए टी एंड सी हानियों को घटाकर 2024 तक 16.5 प्रतिशत कर दिया है मगर निजी घरानों से मिली भगत के चलते पावर कारपोरेशन का प्रबंधन उनके सामने झूठे मनगढ़ंत आंकड़े रखकर घाटे का हवाला देकर निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है और टकराव का वातावरण बना रहा है। 

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