पीलीभीत: वनकर्मियों ने संदेह जताया तो भड़के ग्रामीण...कहा-हमने खुद देखा बाघ
बमुश्किल भीड़ को कराया शांत, डीएम भी मौके पर पहुंचे
पीलीभीत, अमृत विचार। पूरनपुर तहसील क्षेत्र के गांव खिरकिया बरगदिया में बाघ हमले में हुई महिला की मौत पर ग्रामीण पहले से ही खासे आक्रोशित थे। इसी बीच जिम्मेदारों द्वारा बाघ हमले से संदेह जताने पर स्थिति बिगड़ गई। बमुश्किल समझाने पर ग्रामीण शांत हुए। तब कहीं ग्रामीणों ने महिला का शव उठने दिया। इधर, घटना की जानकारी पर डीएम भी गांव पहुंचे और मृतका के परिजनों को ढांढस बंधाते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने वन अफसरों को जंगल सीमा पर जाल फेंसिंग कराने के निर्देश दिए।
पूरनपुर तहसील के सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र में बाघ हमलों में दो किसानों की मौत का मामला अभी थमा नहीं कि रविवार को तहसील क्षेत्र के गांव खिरकिया बरगदिया में बाघ ने एक और महिला को निवाला बना डाला। बताते हैं कि गांव खिरकिया बरगदिया पीलीभीत टाइगर रिजर्व की हरीपुर रेंज से सटा है। बताते हैं कि जिस समय महिला पर बाघ ने हमला किया, उस दौरान महिला का पति भी खेत में ही मौजूद था। शोर-शराबा करने पर बाघ भाग निकला। महिला के गर्दन और चेहरे पर गहरे घाव के निशान पाए गए। पुलिस और हरीपुर रेंज के रेंजर सहीर अहमद टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। टीम को देखते ही भीड़ आक्रोशित होने लगी। बताते हैं कि जांच पड़ताल के बीच ही जिम्मेदारों ने महिला की मौत स्पष्ट रूप से बाघ हमले में न होने की बात कही। वनकर्मियों के संदेह जताने पर ग्रामीण खासे उत्तेजित हो गए। ग्रामीणों का कहना था कि जब उन्होंने स्वयं बाघ को हमला करते देखा है तो वन विभाग इससे इंकार क्यों कर रहा है। दोनों ओर से नोकझोंक भी होने लगी। हालांकि बाद में समझाने पर ग्रामीण शांत हो सके। तब कहीं जाकर ग्रामीणों ने महिला के शव को उठने दिया।
डीएम ने दिए जंगल सीमा पर जाल फेंसिंग कराने के निर्देश
बाघ हमले की जानकारी लगने के बाद डीएम ज्ञानेंद्र सिंह भी गांव खिरकिया बरगदिया पहुंच गए थे। उन्होंने मृतक महिला के परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया और हर संभव मदद करने का भी आश्वासन दिया। इस दौरान डीएम ने वन अफसरों से घटना के संबंध में जानकारी ली और मृतक के परिजनों को शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा दिलाने और जंगल सीमा पर तार फेंसिंग कराने के निर्देश दिए। इस मौके पर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उप प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चौहान समेत रेंज स्टाफ भी मौजूद रहा।
10 साल में 55 लोग गंवा चुके जान
पीलीभीत के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व को दर्जा दिया गया था। मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए जिम्मेदारों के तमाम दावे तो हैं, लेकिन बाघ हमले की घटनाएं नहीं थमीं। बाघ जंगल से बाहर निकल रहे हैं और मानव-वन्यजीव संघर्ष का सिलसिला जारी है। वर्ष 2016 से अब तक बाघ हमलों में 55 लोग जान गंवा चुके हैं। 12 दिन के भीतर पूरनपुर तहसील क्षेत्र में ही तीन लोगों की जान बाघ ले चुका है। इससे पहले हुए दो हमलों का घटनास्थल काफी दूर है। उसमें भी कई दिन से बाघ को रेस्क्यू करने की तैयारी तो चल रही है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है। अब एक और हमले ने चिंता बढ़ा दी है।
