पीलीभीत: टेंडर का खेल! अयोग्य फर्मों की विड पहले स्वीकारीं, फंसते दिखे तो कर दिया कैंसिल..जानिए पूरा मामला
पीलीभीत, अमृत विचार: नगर पंचायत कलीनगर में निविदा का खेल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। 58 लाख के काम से जुड़ी निविदा में पहले तीन फर्म की विड स्वीकृत की गई। जैसे ही ईओ से सांठगांठ करके नियम विरुद्ध तरीके से चहेतों को लाभ देने के आरोप लगे। राज्यसभा सांसद तक मामला पहुंचा और राज्यसभा सांसद ने डीएम को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा तो आनन-फानन में अन्य तीनों फर्म की विड भी निरस्त कर दी गई। इसके बाद जिम्मेदार भले ही सब कुछ ठीक बताने में जुटे हो, लेकिन अभी भी आधी-अधूरी कार्रवाई ईओ समेत अन्य अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है। वहीं, टेंडर प्रक्रिया के दौरान बड़ी लापरवाही बरती गई। इसका भी खुलासा हो गया है।
अभी हाल में ही बंधक एफडीआर लगाने पर नगर पालिका पीलीभीत में काम कर रहे चार ठेकेदारों की फर्म ब्लैक लिस्टेड कर दी गई थी। इसका शोर अभी पूरी तरह से थमा नहीं है कि टेंडर प्रक्रिया से जुड़ा एक नया मामला नगर पंचायत कलीनगर से सामने आया है। बताते हैं कि नगर पंचायत कलीनगर में शासन से प्राप्त स्वच्छ पेयजल योजना के तहत विभिन्न स्थानों पर सोलर वेस्ड वाटर कूलर की स्थापना के लिए आवंटित किए गए 58 लाख रुपये से कार्य कराए जाने थे। इसके लिए 21 मई 2025 को ई-निविदा आमंत्रित की गई। इसमें पहले एम-एम कंस्ट्रक्शन, पवन इंटरप्राइजेज और आरवीआर कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स की विड स्वीकृत कर ली गई, जबकि जीवी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स की विड ये कहकर अस्वीकृत की गई कि संबंधित फर्म द्वारा अपलोड किया गया चरित्र प्रमाण पत्र 19 मई 2025 को समाप्त हो गया है। एफडीआर सचिव सहकारी गन्ना समिति कलीनगर पीलीभीत के नाम से बंधक है। इस प्रक्रिया के बाद शिकायत हुई और नगर पंचायत कलीनगर के ईओ एजाज अहमद की शिकायत शासन स्तर पर की गई। बताते हैं कि लोकल स्तर पर भी शिकायतें हुई। जिसके बाद राज्यसभा सांसद मिथिलेश कुमार कठेरिया ने एक जून को डीएम को पत्र लिखा। जिसमें टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार समेत कई गंभीर आरोप शामिल थे। जिसके बाद खलबली मची और आनन-फानन में स्वीकृत की गई अन्य तीन फर्म की विड भी पांच जून को अस्वीकृत कर दी गई है।
बताते हैं कि टेंडर के इस खेल में पहले चहेतों को रेवड़ियां बांटने की तैयारी की गई। टेंडर प्रक्रिया में चार फर्मों ने भाग लिया था। जिसमें प्रथम परीक्षण में तीन को दुरुस्त दर्शाकर विड स्वीकृत की गई। जबकि चौथी फर्म को अस्वीकृत कर दिया गया था। जो शेष तीन बकाया थीं, उनमें भी कहीं न कहीं झोल था, लेकिन मेनेज किया गया। मगर, इसकी शिकायत हो गई और उन तीन के भी विड कैंसिल करने पड़ गए। शिकायत के बाद किए गए परीक्षण अन्य तीनों की कमी भी पकड़ ली गई है। खास बात है कि शिकायत से पहले और बाद में परीक्षण करने वाले जिम्मेदार एक ही रहे। चूक स्वीकार भी की गईहै लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
तर्क दिए गंभीर..कार्रवाई निविदा कैंसिल तक सीमित
विकास कार्य में निविदा मांगे जाने के कुछ समय बाद ही खेल उजागर हो गया। मगर, कार्रवाई सिर्फ टेंडर प्रक्रिया निरस्त करने तक सीमित रही है। ईओ समेत अन्य जिम्मेदारों पर अपने चहेते फर्म संचालकों को बचाने के भी आरोप शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए हैं। बताते हैं कि शिकायत के बाद निविदा निरस्त करने के दौरान तर्क दिए गए कि एमएम कंस्ट्रक्शन का अनुभव प्रमाण पत्र, किसी भी विभाग पंजीयन प्रमाण पत्र अपलोड नहीं किया गया। श्रम विभाग पंजीकरण प्रमाण पत्र भी अमान्य है। पवन इंटरप्राइजेज कासे लेकर लिखा गया कि इसका अनुभव प्रमाण पत्र, किसी भी विभाग पंजीयन प्रमाण पत्र अपलोड नहीं है। इसी तरह से आरवीआर कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र, श्रम विभाग पंजीकरण और दो पार्टनर में एक का चरित्र प्रमाण पत्र अपलोड नहीं किया गया है। खास बात थी कि स्वीकृति के बाद अस्वीकृत करने के पीछे तर्क दिया गया है कि निविदा की तकनीकी विड का पूर्ण परीक्षण न होने के कारण निविदा का टेंडर निरस्त करने की स्वीकृति दी गई। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि नगर पंचायत ईओ ने पूर्व में विड को स्वीकृति को दे दी लेकिन इसे लेकर परीक्षण नहीं किया गया। इसे एक बड़ी लापरवाही बताते हुए कार्रवाई की मांग की है।
प्रथम दृष्टया जांच में चूक हो गई थी। इसके बाद री-कॉल करते हुए तकनीकी परीक्षण दोबारा किया गया था। इसमें समस्त फर्म में कोई न कोई कमी पाई गई थी। इसलिए अभी पूर्व में कराई गई टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई है। अब दोबारा से निविदाएं मांगी जाएंगी। - एजाज अहमद, अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत कलीनगर
