पीलीभीत: चार घंटे चली खींचतान में खाली नहीं हो सका सपा कार्यालय, अचानक बैकफुट पर आए जिम्मेदार..दिए गए और छह दिन
पीलीभीत, अमृत विचार: नगर पालिका ईओ के सरकारी आवास में संचालित हो रहे सपा कार्यालय को दस जून को खाली कराने की कार्रवाई चार घंटे चली जद्दोजहद के बाद फिर टल गई। शुरुआत से सख्त रुख अपनाए अधिकारियों का मिजाज अचानक बदला और फिर छह दिन का समय दे दिया गया है। सपा जिलाध्यक्ष की ओर से लिखा-पढ़ी कराकर अफसर चले गए।
बता दें कि नकटादाना चौराहा पर स्थित सपा कार्यालय को दस जून को खाली कराने के लिए नगर पालिका प्रशासन की ओर कार्रवाई की गई थी। मंगलवार को सुबह से ही सिटी मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर, एसडीएम सदर आशुतोष गुप्ता, सीओ सिटी दीपक चतुर्वेदी, ईओ संजीव कुमार, तहसीलदार अर्ची गुप्ता समेत तमाम अधिकारी सपा कार्यालय के बाहर जमा हो गए। उधर, सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह जग्गा, महासचिव नफीस अहमद अंसारी, विधानसभा बीसलुपर के प्रभारी दिनेश प्रताप सिंह, युवजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार राजू, महिला सभा की राष्ट्रीय सचिव दिव्या गंगवार, जिला उपाध्यक्ष नरेंद्र मिश्र कट्टर, यूसुफ कादरी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष आरती महेंद्र, जिला प्रवक्ता अमित पाठक एडवोकेट समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जमा थे। पुलिस बल की मौजूदगी में सपा नेताओं से बातचीत चली। जिसमें एक पत्र दिया गया और अधिकारियों से छह माह का समय मांगा। मगर, ईओ की ओर से समय न देने का आग्रह किया गया। इसके बाद चार घंटे तक जद्दोजहद चली। एक वक्त ऐसा आया कि लगा अब कार्यालय खाली करा लिया जाएगा। अधिकारियों ने कार्यालय के बाहर जमा कार्यकर्ताओं को हटाया। इसके बाद एनाउंसमेंट किया कि अगर पांच मिनट में कार्यालय से कब्जा नहीं छोड़ा गया और सरकारी कार्य में व्यवधान उत्पनन्न किया गया तो एफआईआर की कार्रवाई की जाएगी। भारी फोर्स के साथ अधिकारी भीतर घुसे। जिलाध्यक्ष सपा समेत अन्य पदाधिकारियों से वार्ता का दौर चलता रहा। मगर अंत में दोपहर करीब एक बजे अचानक प्रशासन बैकफुट पर आया। फिर समय देने को लेकर लिखापढ़ी शुरू कर दी गई। अंत में छह दिन का समय और देते हुए अधिकारी लौट गए।
पूर्व जिलाध्यक्ष ने खुद पर उठे सवालों का दिया जवाब
पूर्व जिलाध्यक्ष आनंद सिंह यादव द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई याचिका के वापस लेने की बात जोरशोर से कही जा रही थी। ऐसे में पूर्व जिलाध्यक्ष ने भी अपना पक्ष रखा। उनका कहना था कि अपने जिलाध्यक्षी के कार्यकाल में नगरपालिका का नोटिस मिलने पर उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद, अधिवक्ता एवं वरिष्ठ सपा नेता अमित पाठक आदि से विचार विमर्श करके हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मगर बहस के दौरान सीधे हाईकोर्ट आने की बात सवाल के तौर पर की गई। इसके बाद हाइकोर्ट के अधिवक्ता ने पूर्व मंत्री को सलाह दी थी कि याचिका वापस लेकर निचली अदालत में जाएं। अगर याचिका खारिज होती तो दोबारा हाईकोर्ट नहीं जा सकते थे। निचली अदालत में जाने से पहले ही जिलाध्यक्ष पद हट गया। ये भी कहा कि उन्होंने तीन माह का किराया भी जमा कर दिया था, जोकि मार्च 2021 तक जमा था। मगर इसके बाद नए पदाधिकारियों की जिम्मेदारी थी।
