Bareilly: चांद दिखते ही गूंजीं या हुसैन की सदाएं...शिया समुदाय ने निकाले जुलूस-ए-अलम

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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बरेली, अमृत विचार। गुरुवार शाम करीब 7 बजे मोहर्रम का चांद नजर आते ही शिया समुदाय में मजलिस-मातम का सिलसिला शुरू हो गया। चांद नजर आते ही हजरत इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में अजादार डूब गए। हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन सहित कर्बला के शहीदों के गम का यह सिलसिला दो महीने आठ दिन चलेगा। इमामबाड़ों में शबीहे अलम, ताबूत, ताजिया सजा दिए गए।

हजरत इमाम हुसैन सहित बहत्तर कर्बला के शहीदों की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम का आगाज गुरुवार शाम को चांद नजर आते ही शुरू हो गया। मोहर्रम की चांद रात पर गुरुवार को शिया समुदाय में एक जुलूस अंजुमन गुलदस्ता ए हैदरी ने इमामबाड़ा हकीम आगा साहब गढ़ैया से और दूसरा जुलूस अंजुमन ऑल इंडिया गुलदस्ता ए हैदरी ने इमामबाड़ा वसी हैदर गढ़ैया से निकाला। दोनों जुलूस इमामबाड़ा मुहम्मद शाह गढ़ैया में समाप्त हुए।

ऑल इंडिया गुलदस्ता ए हैदरी के मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया शुक्रवार को पहले मोहर्रम से मजलिस और मातम का सिलसिला शुरू हो जाएगा। पहली मजलिस इमामबाड़ा मुहम्मद शाह गढ़ैया में सुबह 9 बजे से शुरू हो जाएगी। रात्रि मजलिस इमामबाड़ा फतेह अली शाह काला इमामबाड़ा में होगी। दिन भर यह सिलसिला चलता रहेगा। इमामबाड़ा मुहम्मद शाह गढ़ैया, हकीम आगा साहब गढ़ैया, वसी हैदर गढ़ैया, महबूब हुसैन कंघीटोला, दीवानखाना छीपीटोला, कबीर हसन छीपी टोला, दिन की मजलिसे इन इमामबाड़ों और रात की मजलिस इमामबाड़ा फतेह अली शाह काला इमामबाड़ा में एक मुहर्रम से शुरू हो जाएंगी।

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