देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को, जानिए महत्व और पूजन विधि

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Published By Vinay Shukla
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अमृत विचार, लखनऊ : आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन चतुरमास की शुरुआत होती है और भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर-सागर में शयन करते हैं।

देवशयनी एकादशी का महत्व: ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इन चार माह में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

पूजन विधि : देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु के विग्रह को पंचामृत से स्नान कराकर धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिए। इसके बाद यथाशक्ति सोना-चांदी आदि की शय्या के ऊपर बिस्तर बिछाकर और उस पर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु को शयन करवाना चाहिए।

व्रत का महत्व : देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। एकादशी व्रत का पारण 7 जुलाई को प्रातः होगा।

एकादशी तिथि और मुहूर्त : एकादशी तिथि 5 जुलाई को सांयकाल 6:58 से शुरू होकर 6 जुलाई को रात्रि 9:14 तक है। 6 जुलाई को विशाखा नक्षत्र, साध्य योग होगा और चन्द्रमा तुला राशि में होंगे।

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