UP News: RTE से निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने में श्रावस्ती अव्वल, गोंडा को मिला दूसरा स्थान, देखिए टॉप 5 की लिस्ट
मुख्यमंत्री ने मुरादाबाद की एक बच्ची का सबसे बड़े निजी स्कूल में कराया था एडमिशन
लखनऊ, अमृत विचार। गरीब बच्चों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने में राज्य सरकार ने प्रभावी इंतजाम किए हैं। निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने में श्रावस्ती जिला सबसे आगे है। गोंडा को दूसरा और बस्ती को तीसरा स्थान मिला है, जबकि फिरोजाबाद को चौथा और बलरामपुर पांचवें स्थान पर है। इसे लेकर मुख्यमंत्री स्वयं संजीदा है, जनता दर्शन में उनसे मिलने आई मुरादाबाद की एक बच्ची का सबसे बड़े निजी स्कूल में एडमिशन हुआ।
शासन के अधिकारियों के अनुसार, श्रावस्ती के जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने आरटीई के तहत स्कूलों में दाखिला के लिए आए 465 आवेदन में से 460 बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला कराया है। यह औसत 98.92 प्रतिशत है। जबकि गोंडा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने 2079 बच्चों के आवेदन के सापेक्ष 1975 बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला कराया, जो 95 प्रतिशत है।
इसी तरह बस्ती ने 591 लक्ष्य के सापेक्ष 553 बच्चों (93.57 प्रतिशत) का दाखिला कराकर तीसरा स्थान प्राप्त किया है। वहीं, फिरोजाबाद ने 4,358 लक्ष्य के सापेक्ष 4,060 (93.16 प्रतिशत) बच्चों का दाखिला कराकर चौथा स्थान प्राप्त किया है, जबकि पांचवें स्थान पर बलरामपुर ने 771 लक्ष्य के सापेक्ष 712 बच्चों (92.35 प्रतिशत) का दाखिला कराया।
ऐसे होता है बच्चों का चयन
आरटीई के तहत पात्रता श्रेणी में आने वाले अभिभावकों से उनके बच्चों के प्रवेश के लिए आवेदन मांगे जाते हैं। फिर आवेदन पत्रों की जांच के बाद लॉटरी के माध्यम से बच्चों का चयन किया जाता है। यह प्रक्रिया चार चरणों में होती है। इसके बाद चयनित बच्चे का दाखिला कराया जाता है।
यह है आरटीई अधिनियम
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें दुर्बल आय वर्ग व अलाभित समूह के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। प्रति वर्ष सरकार लॉटरी के माध्यम से बच्चों का प्रवेश इन विद्यालयों में कराती है। आरटीई के तहत बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार वहन करती है। बच्चों की फीस के भुगतान के अलावा सरकार किताब-कॉपी के लिए भी अभिभावकों को पांच हजार रुपये की धनराशि देती है।
