बलरामपुर और सिविल अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच को भटक रहे मरीज, दिया जा रहा तीन-चार दिनों का नंबर

लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी से अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। शहर के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार बलरामपुर और सिविल अस्पताल तक में एक-एक अल्ट्रासाउंड मशीन बंद है। चंदर नगर 50 बेड संयुक्त अस्पताल में भी रेडियोलॉजिस्ट न होने से मशीन का संचालन नहीं हो पा रहा है। अस्पताल प्रभारियों का कहना है कि शासन से रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती करने की मांग की गई है।
बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन चार से पांच हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें करीब 150-200 मरीजों को डॉक्टर अल्ट्रासाउंड जांच के लिए लिखते हैं। तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें लगी होने के बावजूद मरीजों की तीन से चार दिन का नंबर दिया जा रहा है। ये दिक्कत रेडियोलॉजिस्ट की कमी होने से आ रही है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि शासन से रेडियोलाजिस्ट की मांग की गई है।
दरअसल, बलरामपुर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की तीन मशीनें लगी हैं और रेडियोलाजिस्ट के छह पद स्वीकृत हैं। पहले तीन रेडियोलॉजिस्ट तैनात थे। इनमें एक लोकबंधु अस्पताल चले गए। ऐसे में यहां अब दो रेडियोलॉजिस्ट ही बचे हैं। यही स्थिति सिविल अस्पताल की भी है। यहां मशीनें तो तीन लगी हैं, लेकिन रेडियोलाॅजिस्ट दो ही हैं।
इसमें एक स्थायी और दूसरा विशेषज्ञ रिटायरमेंट बाद संविदा पर तैनात किया गया है। यहां पर भी एक मशीन बंद है। सीएमएस डॉ. राजेश के मुताबिक, पुर्ननियुक्ति पर एक रेडियोलॉजिस्ट की जल्द तैनाती हुई है। वार्ड व इमरजेंसी मरीजों की जांच प्राथमिकता के आधार पर कराई जाती है। सामान्य मरीजों को एक दो दिन बाद बुलाया जाता है।
आलमबाग के चंदरनगर 50 बेड संयुक्त अस्पताल में तैनात रेडियोलॉजिस्ट गंभीर बीमारी के चलते अनिश्चितकालीन अवकाश पर हैं। इससे अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन करीब टिन माह से ठप है। यहां रोजाना 15-20 मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच लिखी जा रही है।
उन्हें जांच के लिए लोकबंधु और आरएलबी अस्पताल भेजा जाता है। वहां पहले से ही मरीजों का दबाव अधिक रहने के कारण वेटिंग रहती है। इमरजेंसी वाले मरीज बाहर से जांच कराने को मजबूर हैं। अस्पताल के सीएमएस डॉ.आनंद त्रिपाठी का कहना है कि पत्र भेजकर शासन से रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती की मांग की गई है।