अभाव और उपेक्षा का शिकार सिद्धेश्वर महादेव मंदिर: प्राचीन कुंड पूरी तरह बदहाल, भक्त मायूस
बाराबंकी, अमृत विचार : सावन के पावन महीने में जहां एक ओर शिवभक्तों का उत्साह चरम पर है, वहीं दूसरी ओर देवा-फतेहपुर मार्ग पर स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर मूलभूत सुविधाओं के अभाव और सरकारी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यह मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक चेतना का भी जीवंत प्रतीक है।
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सावन में यहां "बोल बम" के जयघोष और "हर-हर महादेव" की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो उठता है। शिवभक्त दूर-दराज से जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, लेकिन मंदिर परिसर की दुर्दशा श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा रही है। मंदिर के सामने स्थित प्राचीन कुंड पूरी तरह बदहाल अवस्था में है। उसमें गंदगी और कीचड़ भरा रहता है, जिससे न सिर्फ श्रद्धालुओं को असुविधा होती है, बल्कि मंदिर की पवित्रता भी प्रभावित होती है।
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महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशाल मेला लगता है। वहीं कार्तिक मास में भव्य रामलीला का मंचन स्थानीय संस्कृति की पहचान है। इसके बावजूद, मेले की व्यवस्थाएं अस्थायी और अव्यवस्थित हैं। स्थानीय समाजसेवियों ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आर्थिक और सामाजिक सहयोग देना शुरू किया है, लेकिन अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया है।
पूर्व सभासद रमाशंकर शुक्ला ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर मंदिर के पूर्ण जीर्णोद्धार, कुंड के पुनर्निर्माण, परिसर के सौंदर्यीकरण तथा मेले की स्थायी व्यवस्था हेतु विशेष बजट की मांग की है। उनका कहना है कि "यह स्थल केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का केंद्र है।"
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