बाराबंकी में कटान लील रही किसानों की कीमती जमीन
सूरतगंज, बाराबंकी, अमृत विचार। नेपाल से छोड़े गए पानी और पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते सरयू घाघरा नदी का जलस्तर लगातार बढ़-घट रहा जिससे सूरतगंज के तराई इलाके में कटान तेज हो गया है। किसान अपनी जमीन नदी में जाते अपनी आंखों से देख रहा है।
रामनगर तहसील के अकौना डिहुआ गांव में नदी की धारा अब खेतों की ओर मुड़ गई है, जिससे ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है। ग्रामीणों के अनुसार अब तक करीब आठ बीघा कृषि भूमि नदी में समा चुकी है। गन्ने की फसल वाले खेत भी अब नदी के आगोश में आने लगे हैं। किसान रामकिशोर, निखिल, रामचंद्र और राजकुमार समेत कई अन्य किसानों की जमीन कटान के मुहाने पर है। इनका कहना है कि खेती ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है और हर साल बरसात में कटान उनके लिए बड़ी समस्या बन जाता है। किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष भी सरयू घाघरा नदी ने कई घरों और बीघों जमीन को तबाह कर दिया था। इस बार भी स्थिति गंभीर होती जा रही है। खेतों में खड़ी फसल के नुकसान का खतरा मंडरा रहा है, जिससे तटीय इलाकों के किसान डरे हुए हैं। प्रशासन से अपील की है कि कटान रोकने के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए, जिससे उनकी आजीविका को बचाया जा सके। उनका कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में और ज्यादा जमीन कटकर नदी में समा सकती है।
रफ्तार धीमी लेकिन तराई में दहशत
रामनगर प्रतिनिधि के अनुसार शुक्रवार को सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने की रफ्तार धीमी हो गई। गुरुवार की शाम जहां नदी दो सेमी प्रति घंटे की गति से ऊपर बढ़ रही थी वहीं शुक्रवार को शाम का जलस्तर 105.660 दर्ज किया गया, जबकि एक दिन पहले शाम के समय यह लेवल 105.410 था। उतार चढ़ाव के लिए मशहूर सरयू नदी की दहशत इसीलिए ग्रामीणों में बनी रहती है। रात भर में तेजी से बढ़ कर नदी का पानी कब गांवों की ओर मुड़ जाए इसका कोई भरोसा नहीं है। उधर नदी के किनारों पर कटान लगातार जारी है वहीं किनारे बसे ग्रामीण अपना साजो सामान हटाते जा रहे।
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