बिजली कर्मियों के आवासों पर ‘मीटरिंग’ की कार्रवाई शुरू

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Published By Virendra Pandey
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बिजली कर्मियों ने कहा, यह समझौते का उल्लंघन

लखनऊ, अमृत विचार। ऊर्जा निगमों के निजीकरण प्रक्रिया के बीच उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने कर्मियों के आवासों पर मीटर लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस बीच, बिजली कर्मियों ने इसे तत्कालीन राज्य बिजली बोर्ड के विघटन के समय हुए समझौते का उल्लंघन बताया है। बिजली कर्मियों ने कहा कि कॉरपोरेशन प्रबंधन के दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में अब बिजली कर्मियों के साथ उनके परिवारीजन सत्याग्रह करेंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेंद्र दुबे व अन्य पदाधिकारियों ने कहा है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में आ रही वैधानिक अड़चनों से प्रबंधन बौखला गया है। दमन व भय का वातावरण बनाकर निजीकरण थोपने की कोशिश की जा रही है, पर इसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि नवंबर 2024 में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का एकतरफा ऐलान किया था। संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में लोकतांत्रिक ढंग से उसी समय आंदोलन शुरू कर दिया था। इसका परिणाम यह है कि सात महीनों से अधिक समय गुजरने के बावजूद पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन निजीकरण करने में कामयाब नहीं हो पाया है। संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में कई बिजली पंचायत और बिजली महापंचायत आयोजित कर उपभोक्ताओं और किसानों को भी संघर्ष में जोड़ दिया है।

उत्पीड़न के तहत किये गए कर्मियों के स्थानांतरण

संघर्ष समिति ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधन ने हजारों बिजली कर्मियों का उत्पीड़न की दृष्टि से उन्हें दूरस्थ स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है। कई हजार बिजली कर्मियों का ‘फेशियल अटेंडेंस’ के नाम पर वेतन रोक लिया गया है। साथ ही, संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पर आय के अधिक मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई। उन्होंने कहा कि यूपी इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 और यूपी रिफॉर्म ट्रांसफर स्कीम 2000 का खुला उल्लंघन कर स्मार्ट मीटर लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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