रबर फैक्ट्री : शासन से अनुमति, बरेली सिविल कोर्ट में दाखिल होगा सूट

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
On

फतेहगंज पश्चिमी स्थित बंद फैक्ट्री की 1300 से अधिक एकड़ भूमि पर कब्जा लेने के प्रयास में जिला प्रशासन ने एक कदम और आगे बढ़ाया

राकेश शर्मा बरेली, अमृत विचार। फतेहगंज पश्चिमी स्थित बंद रबर फैक्ट्री की 1300 एकड़ से अधिक भूमि पर कब्जा लेने के प्रयास में जिला प्रशासन ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। कमिश्नर और डीएम की पैरवी पर शासन ने अरबों रुपये की भूमि पर कब्जा लेने के संबंध में बरेली सिविल कोर्ट में सिविल सूट दाखिल करने की अनुमति दे दी है। औद्याेगिक विकास अनुभाग के उपसचिव की ओर से सिविल सूट दाखिल करने के लिए जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल पुरुषोतम पटेल को नामित किया गया है।

शासन में उप सचिव निर्मेष कुमार शुक्ल की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि रबर फैक्ट्री की भूमि के संबंध में बॉम्बे हाईकाेर्ट में विचाराधीन केस में लीव एप्लीकेशन दाखिल करने की भी अनुमति दी गई है। यूपीसीडा और जिलाधिकारी की ओर से बरेली सिविल कोर्ट में सिविल सूट दाखिल करने के लिए शासन को पत्र लिखे गए थे। इनमें तहसील मीरगंज क्षेत्र के फतेहगंज पश्चिमी में बंद पड़ी सिंथेटिक एवं केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड (रबर फैक्ट्री) की भूमि को राज्य सरकार के पक्ष में लेने के संबंध में अलग से सिविल कोर्ट बरेली में सिविल वाद दायर किए जाने के लिए अनुमति मांगी गई थी। कंपनी की ओर से अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन के कारण रबर फैक्ट्री की भूमि पर कब्जा प्राप्त करने के लिए उच्च न्यायालय बॉम्बे में कंपनी लिक्वीडेशन वाद विचाराधीन है। अब इस प्रकरण में कंपनी अधिनियम 1956 की धारा- 446 के अंतर्गत हाई कोर्ट बॉम्बे में लीव एप्लीकेशन दाखिल किए जाने एवं सिविल कोर्ट बरेली में भूमि पर कब्जा राज्य सरकार के पक्ष में लिए जाने के लिए सिविल सूट दाखिल करने की अनुमति शासन से मिलगई है। सिविल सूट दाखिल करने के लिए जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल को भी नामित किया है।

उधर, शासन की अनुमति मिलने के बाद जिला प्रशासन ने सिविल सूट दाखिल करने के लिए प्रारंभिक औपचारिकताएं पूरी करनी शुरू कर दी हैं। बरेली में सिविल सूट दाखिल होने के बाद अब प्रशासन को जहां मुंबई की दौड़-भाग कम करनी पड़ेगी, वहीं रबर फैक्ट्री के मालिक समेत अन्य पक्षकारों को बरेली आना पड़ेगा।

चार साल से हाईकोर्ट बॉम्बे में पैरवी करा रहा जिला प्रशासन
सिविल कोर्ट बरेली में सिविल सूट दर्ज होने के बाद जिला प्रशासन को इस केस में मजबूती मिलेगी। अभी यूपीसीडा और प्रशासन के अफसरों को हाईकोर्ट बॉम्बे में पैरवी के लिए दौड़भाग करनी पड़ती है। हाईकोर्ट बॉम्बे की सिंगल बेंच से जिला प्रशासन को राहत मिली थी, लेकिन समय रहते भूमि पर कब्जा लेने के लिए वाद दर्ज नहीं हो पाया था। इससे मामला पेचीदा हो गया। इसके बाद जिला प्रशासन ने शासन से दो और वकील नामित करने के साथ अलग से वाद दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। शासन ने हाईकोर्ट बॉम्बे के साथ डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) में अलग वाद दर्ज कराने की मंजूरी देने के साथ ही आदित्य ठक्कर और सौभाग्य अग्रवाल को पैरवी के लिए नामित किया था। दोनों वकीलों ने ही बरेली में सिविल कोर्ट में वाद दर्ज कराने की सलाह अफसरों को दी थी।

लीज डीड में शर्त थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार भूमि पर लेगी कब्जा
रबड़ फैक्ट्री स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को 3.40 लाख रुपये लेकर 1382.23 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज डीड में शर्त शामिल की गई थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार जमीन वापस ले लेगी, लेकिन 15 जुलाई 1999 को फैक्ट्री बंद हुई तो राज्य सरकार जमीन पर कब्जा नहीं ले पाई थी। अभी हाईकोर्ट बॉम्बे में पिटीशन नंबर 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मेसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य के केस में राज्य सरकार पक्षकार है।

ये भी पढ़ें - बरेली : नए सर्किल रेट 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की तैयारी

संबंधित समाचार