बुलंदशहर हिंसा मामला: इंस्पेक्टर के हत्यारों को उम्रकैद, 33 दोषियों को सात-सात साल की सजा
लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर स्थित स्याना क्षेत्र में 3 दिसंबर 2018 को हुई बहुचर्चित हिंसा मामले में 6 साल बाद न्यायिक फैसला आया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे)-12 गोपाल जी ने इस मामले में 38 दोषियों को सजा सुनाई है। अदालत ने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के हत्या के आरोप में पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी, जबकि बलवा और जानलेवा हमले जैसे अपराधों में दोषी पाए गए 33 अन्य आरोपियों को सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई गई।
इस हिंसा में स्याना कोतवाली के प्रभारी सुबोध सिंह सहित दो लोगों की हत्या हुई थी। घटना 3 दिसंबर 2018 को स्याना के चिंगरावठी गांव में उस समय भड़की, जब गोवंश के अवशेष मिलने की खबर फैली। इस खबर ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया और देखते ही देखते स्थिति अनियंत्रित हो गई। आक्रोशित भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हमला बोल दिया और उसे आग के हवाले कर दिया। हिंसा के दौरान तत्कालीन स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध सिंह और एक युवक सुमित की मौत हो गई थी।
इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक चर्चा और आलोचना को जन्म दिया। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया था। जांच के बाद 38 लोगों के खिलाफ अदालत में मामला चला। करीब 6 साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद, अदालत ने सबूतों और गवाहों के आधार पर अपना फैसला सुनाया। हत्या के लिए जिम्मेदार पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई। वहीं, अन्य 33 दोषियों को बलवा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और जानलेवा हमले जैसे अपराधों में सात साल की सजा दी गई। इस फैसले ने एक बार फिर बुलंदशहर हिंसा को सुर्खियों में ला दिया है।
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